Sitamarhi News: बिहार के सीतामढ़ी में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के बाद एक समुदाय के दो गुटों के बीच हुई झड़प के संबंध में पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जिसे कुछ लोगों के बयान के आधार पर मृत मान लिया गया था. अधिकारियों ने बुधवार (16 अक्टूबर) को यह जानकारी दी. इससे पहले पुलिस ने मंगलवार को दो लोगों की मौत बात कही थी, लेकिन अब पता चला कि एक व्यक्ति तो मरा ही नहीं है.


परिवार के सदस्यों को ठहराया गया दोषी


अब मृत व्यक्ति के जिंदा मिलने पर भ्रम की स्थिति पैदा करने के लिए व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को दोषी ठहराया गया है. इस मामले में सीतामढ़ी सदर के अनुमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) रामकृष्ण ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि भगत मांझी के परिवार के सदस्यों ने दावा किया था कि मुजफ्फरपुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई, लेकिन जांच में पता चला कि भगत मांझी जीवित है.


भगत मांझी को पुलिस ने हिरासत में लिया


मृत व्यक्ति को जिंदा पाकर पुलिस भी हैरान रह गई. अब एक्शन लिया गया है. इस पूरे मामले में एसडीपीओ रामकृष्ण ने बताया कि भगत मांझी को हिरासत में ले लिया गया और मामले की जांच की जा रही है. कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि मांझी के परिवार के सदस्यों की ओर से जांचकर्ताओं को गुमराह करने का प्रयास किया गया था."


क्या है पूरा मामला?


बताया गया था कि 13 अक्टूबर को सुप्पी क्षेत्र के ढेंग गांव में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के बाद झड़प हुई थी. दो समूहों के बीच किसी बात को लेकर एक व्यक्ति तालेवर सहनी को दूसरे समूह के लोगों ने चाकू घोंप दिया. मौके पर पुलिस थी तो तुरंत स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया. तालेवर सहनी को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई थी. 14 अक्टूबर को फिर इस बात पर मामले ने तूल पकड़ा और दो गुटों में मारपीट हो गई. इसमें भगत मांझी के सिर में चोट लगी थी. इसी घटना में भगत मांझी की मौत की बात कही गई थी जो जिंदा पाया गया है.


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