सीवान: कुछ कर जाने का जज्बा हो तो लोग आगे बढ़ने के लिए एक भी मौका हाथ से नहीं जाने देते और महनत से सफलता हासिल करते हैं. सीवान में एक व्यक्ति लंबे समय से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था. उसे नौकरी नहीं मिली तो मशरूम की खेती करने लगा. आइएससी, आईटीआई और एडीसीए की पढ़ाई पूरी कर अपने गांव में मशरूम की खेती शुरू करने वाले भानु प्रताप युवाओं के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं. वह मशरूम की खेती से सालाना सात लाख रुपये कमा रहे हैं.
कृषि विभाग की मदद से शुरू की खेती
दारौंदा प्रखंड के दवन छपरा के रहने वाले अखिलेश्वर सिंह के 28 वर्षीय पुत्र भानु प्रताप सिंह आइएससी, आईटीआई और एडीसीए करने के बाद बीएससी करने के साथ रेलवे में नौकरी की तैयारी करते थे. साल 2019 में रेलवे ग्रुप डी की लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद भी भानुप्रताप को नौकरी नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने नौकरी की तैयारी छोड़ कृषि विभाग की मदद से खेती करने का सोचा. कृषि विभाग की मदद के बाद उनको एक कट्ठा जमीन में बहुत छोटे स्तर से मात्र 50 कम्पोस्ट पैकेट मशरूम की खेती के लिए शुरू किया. प्रथम पैदावार में ही उसने एक क्विंटल मशरूम का उत्पादन किया. आज के समय में मशरूम की खेती से लाखों रुपये महीने की कमाई कर रहे हैं.
अन्य लोगों को भी करेंगे खेती से प्रेरित
भानुप्रताप चार साल में चार कट्ठा जमीन पर आधुनिक तकनीक से मशरूम की खेती कर रहे हैं. जहां एक बार में 20 क्विंटल मशरूम का उत्पादन होता है. मशरूम के अच्छे उत्पादन के लिए भानु प्रताप सिंह पटना और लखनऊ में ट्रेनिंग भी लेते हैं. मशरूम के अच्छे उत्पादन के आधुनिक तकनीक और तौर-तरीके सिख कर अपने मशरूम के उत्तम उत्पादन में इस्तेमाल कर सालाना सात लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. उनका कहना है कि मुझे इस खेती को और आगे तक बढ़ाना है. अब बड़े पैमाने पर नई तकनीक के साथ उत्पादन करना है. एक सफल किसान बनकर अन्य लोगों को आगे आने के लिए प्रेरित करना है.
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