पटना: 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने पाला बदल लिया है. महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए हैं. इसकी एक वजह यह भी मानी जा रही है कि लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग फैक्टर (SS Factor) से महागठबंधन में दिक्कत हो रही थी. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह दिक्कत एनडीए में नहीं होगी?


बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और महागठबंधन में नीतीश कुमार के रहते इसका बंटवारा नहीं हो सका था. अब क्या एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान नहीं होगी? सब आसान हो जाएगा? ऐसे तमाम तरह के सवाल हैं. एनडीए में इसका भी डर है. महागठबंधन में रहते जेडीयू के कई नेताओं ने कहा था कि सीट सेटिंग में विलंब हो रहा है तो वहीं लालू प्रसाद यादव ने दो टूक में जवाब दिया था कि गठबंधन में तो सीट बंटवारे में देरी होती ही है यह बड़ी बात नहीं है. समय पर हो जाएगा.


एनडीए में भी पार्टियों की संख्या कम नहीं


बता दें कि एनडीए में बीजेपी के अलावा पहले से चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास और पशुपति पारस की पार्टी भी शामिल है. इसके साथ जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा तो है ही अब नीतीश कुमार भी साथ हो गए हैं. उपेंद्र कुशवाहा भी साथ ही हैं. देखा जाए तो एनडीए में भी पार्टियों की संख्या कम नहीं है. सबको अधिक से अधिक सीट भी चाहिए.


पिछले वर्ष 2019 की बात करें तो नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी. लोक जनशक्ति पार्टी भी साथ में थी. हालांकि उस वक्त चिराग पासवान और पशुपति पारस एक साथ थे. बीजेपी और जेडीयू 17- 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. लोक जनशक्ति पार्टी को छह सीट मिली थी.


जेडीयू की सीटिंग सीट पर आरजेडी कर रही थी दावा


नीतीश कुमार के लिए एनडीए में भी सीट शेयरिंग को लेकर चुनौती है, लेकिन महागठबंधन से ज्यादा नहीं है. माना जा रहा है कि एनडीए में अगर उन्हें कुछ कम सीट भी मिलती है तो सीटिंग सीटों में कोई फेरबदल होने का अनुमान नहीं है. महागठबंधन में जेडीयू की पांच से छह सीटिंग सीटों पर आरजेडी दावा कर रही थी. ऐसा कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव की ओर से दबाव भी बनाया जा रहा था.


उदाहरण के तौर पर जहानाबाद सीट पर बहुत कम अंतर से आरजेडी की हार हुई थी और वह वजह बनी थी तेज प्रताप के अलग गुट के प्रत्याशी के कारण. ऐसी 5 से 6 सीट थी जिस पर जेडीयू की जीत आरजेडी में अंदरूनी कलह के कारण हुई थी. उन सीटों पर आरजेडी दावा कर रही थी. वह समस्या एनडीए में नीतीश कुमार को नहीं मिल सकता है. हालांकि यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि इस बार नीतीश कुमार को कम सीट दी जा सकती है. 


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