Student's Bihar Bandh: छात्रों ने 28 जनवरी को बिहार बंद का किया एलान, महागठबंधन ने की साथ देने की घोषणा, पढ़ें- क्या कहा
पीसी के दौरान कहा गया, " युवा आक्रोश का यह महाविस्फोट बेवजह नहीं है. बीते 7 सालों में बीजेपी के राज में वे अपने को लगातार छला महसूस कर रहे हैं. बिहार की सरकार ने भी उन्हें धोखा दिया है."
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पटना: आरआरबी की मनमानी से नाराज छात्र संगठनों ने 28 जनवरी को बिहार बंद का एलान किया है. वहीं, छात्रों के बिहार बंद को महगठबंधन ने भी साथ देने की घोषणा की है. साथ ही जाप सुप्रीमो पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने छात्रों की जायज मांग में उनके साथ खड़े रहने की बात कही है. छात्र आंदोलन के बीच गुरुवार को महागठबंधन में शामिल दलों के नेताओं ने संयुक्त पीसी की. इस दौरान नेताओं ने कहा कि आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली और ग्रुप-डी की परीक्षा में एक की जगह दो परीक्षाएं आयोजित करने के तुगलकी फरमान के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों के प्रति सरकार का दमनात्मक रवैया निंदनीय है. बर्बर पुलिसिया दमन, आंसू गैस, गिरफ्तारी और मुकदमे थोपकर सरकार आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है, जो कहीं से जायज नहीं है.
इस बात से तंज आ गए हैं छात्र
पीसी के दौरान कहा गया, " युवा आक्रोश का यह महाविस्फोट बेवजह नहीं है. बीते 7 सालों में बीजेपी के राज में वे अपने को लगातार छला महसूस कर रहे हैं. बिहार की सरकार ने भी उन्हें धोखा दिया है. ऐसी कोई परीक्षा नहीं है, जिसकी प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 5 से 7 साल का समय नहीं लगता हो, इससे लोग तंग आ गए हैं. बेरोजगारी का आलम यह है कि ग्रुप-डी तक की परीक्षा में भी करोड़ों आवेदन आते हैं. बिहार में तो बेरोजगारी चरम पर है, इसलिए सबसे ज्यादा तीखा प्रतिवाद यहीं देखा जा रहा है."
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नेताओं ने कहा, " आंदोलन के दबाव में रेल मंत्री का पहले मामले में जांच कमिटी बनाने और ग्रुप डी की परीक्षा को रद्द करने का आश्वासन मामले को टालने व उलझाने जैसा है. जांच कमिटी को अपनी रिपोर्ट चार मार्च तक जमा करने से साफ झलकता है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखते हुए रेल मंत्रालय ने यह कदम उठाया है. बिहार के विगत विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार रोजगार एक बड़ा मुद्दा बना था, यूपी चुनाव के ठीक पहले छात्र युवाओं का यह आंदोलन भाजपा के लिए सिरदर्द बन रहा है."
सरकार मसले को हल के प्रति गंभीर नहीं
उन्होंने कहा, " अगर सरकार सचमुच छात्र युवाओं के सवालों के प्रति गंभीर होती, तो इन दोनों मामलों में उनकी मांगों को मान लेने में उसे कोई परेशानी ही नहीं होती. पहले मामले में सात लाख संशोधित रिजल्ट और ग्रुप डी मामले में पहले नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा का सवाल ऐसा नहीं है, जिसे लागू करने के लिए सरकार को जांच कमिटी बनानी पड़े. जाहिर सी बात है कि यह आक्रोश को कमजोर करने का एक तरीका है. आंदोलनरत छात्र युवा इससे संतुष्ट नहीं है. सरकार के दमनात्मक रूख से भी स्पष्ट है कि वह मसले को हल के प्रति गंभीर नहीं है."
नेताओं ने कहा, " महागठबंधन के दल स्नातक स्तरीय परीक्षा में संशोधित 7 लाख रिजल्ट, ग्रुप डी में केवल एक परीक्षा और आंदोलन कर रहे छात्र युवाओं के दमन पर रोक लगाते हुए उनपर थोपे गए मुकदमों की वापसी की मांग के साथ खड़े हैं, उनके आंदोलन का हर तरह से समर्थन करते हैं तथा 28 जनवरी के बिहार बंद को सफल बनाने की अपील बिहार की जनता से करते हैं. सरकार छात्र युवाओं के इस आक्रोश को समझे तथा धैर्य व संयम का परिचय देते हुए उनकी मांगों को अलिवंब हल करने की दिशा में बढ़े."
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