सुपौल: सुपौल जिले के अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज में बीते सोमवार को जीवन रक्षक दवाइयों के फेंकने के मामले में सिविल सर्जन की ओर से जारी पत्र के आलोक में गठित टीम ने आज से अनुमंडलीय अस्पताल पहुंच मामले की बारीकी से जांच शुरू कर दी है. दरअसल, त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल का अपना भवन नहीं है, लिहाजा अस्पताल के भवन निर्माण के लिए टेंडर होने के बाद अस्पताल के नए भवन का निर्माण शुरू हुआ है, जिसको लेकर अस्पताल के पुराने जर्जर भवन को तोड़ने का काम चल रहा है.


बिना एक्सपायरी की फेंकी गई थी दवाइयां


पुराने जर्जर अस्पताल के भवन में जो दवाइयां रखी गई थी उसे बीते सोमवार को कचरा समझ ट्रैक्टर पर लोड करके अस्पताल प्रशासन द्वारा फेका जा रहा था. फेकी जा रहे दवाइयों में जीवन रक्षक दवाइयां आयरन विथ फोलिक एसिड सीरप जो वर्ष 2021 के फरवरी में एक्सपायर होने वाला था, उसे भी फेंका जा रहा था. ऐसे में, मामले में संज्ञान लेते सिविल सर्जन सुपौल ने मामले की जांच का जिम्मा जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉक्टर मेजर शशिभूषण प्रसाद को दिया है.


जांच टीम ने कचरे से खोजी दवाइयां


इस मामले की जांच करने आज अपनी टीम के साथ डॉक्टर मेजर शशिभूषण प्रसाद अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे, जहां पहुंचने के बाद जांच टीम ने बारीकी से मामले की जानकारी ली. इसके साथ ही जांच टीम ने उस कचरे में दवाइयों को खोजा, जिसमें बिना एक्सपायरी के आयरन विथ फोलिक एसिड सिरप के 50 एमएल के बोतल मिले, जिसे सैम्पल के तौर पर जांचकर्ता अपने साथ ले गए.


बारीकी से की जाएगी जांच


जांचकर्ता को कचरे में कई ऐसी दवाइयां भी मिली जो एक्सपायर हो चुके हैं. वहीं मामले की जांच कर रहे जांच टीम के नेतृत्वकर्ता डॉक्टर मेजर शशिभूषण प्रसाद ने जानकारी देते हुए बताया कि मामले की बारीकी से जांच की जा रही है, जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट हो पाएगा.


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