Supreme Court: बिहार जहरीली शराब केस में 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, मुआवजे समेत कई मांगों पर है याचिका
Bihar Hooch Tragedy: मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने नौ जनवरी की डेट दी है. अधिवक्ता पवन प्रकाश पाठक के माध्यम से याचिका दायर की गई थी.
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पटना: बिहार में बीते साल दिसंबर में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हुई थी. इस मामले ने जमकर तूल पकड़ा और विपक्ष ने बिहार सरकार को निशाना बनाया था. मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के लिए पहुंचा है. मंगलवार को इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नौ जनवरी की डेट दी है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Y. Chandrachud) की पीठ ने कहा कि बिहार के छपरा में स्वतंत्र और एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर नौ जनवरी को सुनवाई होगी.
मुआवजे की मांग
इस मामले में 40 लोगों की मौतें हुई हैं. याचिका को मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सुनवाई के लिए पेश किया गया. अगले सोमवार को मामले की सुनवाई करने पर सहमति दी गई है. आर्यावर्त महासभा फाउंडेशन द्वारा अधिवक्ता पवन प्रकाश पाठक के माध्यम से याचिका दायर की गई थी. इसमें अवैध शराब के निर्माण, व्यापार और बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्र कार्य योजना तैयार करने की मांग की गई थी. जनहित याचिका में आगे राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि पीड़ित परिवार को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए. कहा गया कि लोगों के बिहार में निष्क्रिय अधिकारों का उल्लंघन किया है जिस कारण मुआवजे की बात अटक गई है.
याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी द्वारा स्वतंत्र विशेष जांच दल का गठन किया जा सकता है. देश के कानून के अनुसार प्रभावी कदमों के लिए इस केस की स्वतंत्र जांच की जा सकती है. जनहित याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार ने 2016 में राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है. प्रतिबंध को लागू करने में पर्याप्त विफलता और कई प्रतिकूल परिणामों के लिए तीखी आलोचना हुई है. बिहार के लोगों ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई है.
बिहार में शराबबंदी फेल
बिहार में नेपाल, पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश के साथ अपनी सीमाओं से शराब आती है. याचिका में दावा किया गया है कि शराब की कई त्रासदियों के परिणाम स्वरूप सैकड़ों मौतें हुईं हैं. कहा गया है कि हाल ही में लोकसभा में इसी मुद्दे पर सवाल उठाया गया था और संबोधित किया गया था, लेकिन शराब माफिया और कार्टेलों के प्रदर्शन को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.
कई राज्यों में केस
याचिका में कहा गया है कि यह पहली बार नहीं है जब भारत में जहरीली शराब के सेवन से लोगों के मरने की घटना सामने आई है. इसमें कहा गया है कि हाल के वर्षों में गुजरात, पंजाब और हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक आदि से इसी तरह का एक मामला सामने आया था जिसमें जानमाल का नुकसान हुआ था.
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