पटना: बिहार में नीतीश सरकार (Nitish Government) जाति आधिरत गणना करवा रही है. अलग-अलग चरणों में इसे कराया जाना है. इन सबके बीच आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई भी होनी है. जाति आधारित गणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में तीन अलग-अलग याचिर दायर की गई थी. एक याचिका इसमें हिंदू सेना की भी है. इन्हीं पर आज सुनवाई होनी है. याचिका में इसे रोकने की मांग की गई है.
याचिका में कही गई ये बात
याचिका में बिहार सरकार के जातिगत गणना कराने के फैसले को देश की अखंडता को तोड़ने वाला बताया गया है. हिंदू सेना के अलावा एक याचिका बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने भी याचिका दायर की है. इसमें बिहार सरकार के इस कार्य को असंवैधानिक बताया गया है. कहा गया है कि जाति आधारित गणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है. ऐसे में अपनी मर्जी से अकेले ये राज्य सरकार नहीं करा सकती है. ये संविधान के खिलाफ है.
पहले 27 जनवरी को होनी थी सुनवाई
याचिका में नीतीश सरकार के छह जून 2022 के नोटिफिकेशन को भी रद्द करने की मांग की गई है. बता दें कि पहले इन याचिकाओं पर सुनवाई 27 जनवरी को होनी थी. अब तकनीकी कारणों से तारीख में बदलाव के बाद इस पर 20 जनवरी को सुनवाई होगी. आज के फैसले में देखना होगा कि नीतीश सरकार को झटका लगता है या सुप्रीम कोर्ट से क्या निर्णय आता है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि जातियों के आधार पर बिहार में जो गणना बिहार सरकार करा रही है वो इसलिए भी असंवैधानिक है क्योंकि क्योंकि जातियों की गणना बिना केंद्र के नियमों के अनुसार नहीं किया जा सकता है. राज्य अपने अनुसार गणना कर मान्यता नहीं दे सकता है. इसलिए छह जून 2022 के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है.
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