सुशांत खुदकुशी मामला: मुझे जितनी भी गाली दो लेकिन सुशांत को चाहिए न्याय - DGP गुप्तेश्वर पांडेय
बिहार पुलिस के DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने ट्वीट कर बिना किसी का नाम लिए बिहार पुलिस और उनपर सवाल उठाने वालों को साधने की कोशिश की है.
पटना: सुशांत आत्महत्या मामले में बिहार में FIR दर्ज होने के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है. महाराष्ट्र पुलिस समेत कई नेता बिहार पुलिस के कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है. ऐसे में बिहार पुलिस के DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने ट्वीट कर बिना किसी का नाम लिए बिहार पुलिस और उनपर सवाल उठाने वालों को साधने की कोशिश की है.
DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने ट्वीट कर लिखा है, " जीवन भर निष्पक्ष रहकर निष्ठापूर्वक आम जनता की सेवा की है. मुझ पर बहुत तथ्यहीन अनर्गल आरोप लगाए जा रहे, जिसका जवाब देना उचित नहीं. हिफाजत हर किसी की मालिक बहुत खूबी से करता है, हवा भी चलती रहती है, दीया भी जलता रहता है. मुझे जितनी भी गाली दो लेकिन सुशांत को न्याय चाहिए."
दरसअल, अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मौत के मामला की जांच पर लगातार उठते सवाल के बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने पार्टी मुखपत्र सामना में बिहार पुलिस और केंद्र पर महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि मामले की जांच CBI को सौंपना मुंबई पुलिस के अधिकारों का हनन है. केंद्र सरकार का मामले में दखलंदाजी करना मुंबई पुलिस का अपमान है.
अब DGP गुप्तेश्वर पांडेय के इस ट्वीट को संजय राउत के बयान से जोड़कर देखा जा रहा है. केवल DGP ही नहीं बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने भी संजय राउत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, " सांसद संजय राउत को देखना चाहिए कि बिहार पुलिस को नहीं बल्कि मुंबई पुलिस को क़ानून की रक्षा, जनता की सुरक्षा के साथ जनता को न्याय कैसे दिया जाए यह सीखने की जरूरत है."
उन्होंने कहा, " बिहार पुलिस के साथ जो मुम्बई में हुआ उसकी पूरे देश के साथ विदेश में भी सोशल मीडिया में निन्दा दिखी. मुंबई में देश के खाकी वर्दी को शर्मसार कर के कानून को जंजीरो में जकड़ना चाहते थे. न्याय पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन उनको पता होना चाहिए कि बिहार में कानून की रक्षा के साथ ही न्याय के साथ विकास की सरकार है, जिसके मुखिया बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं."
जितेंद्र ने कहा कि बिहार में जनता न्याय के लिए पुलिस को स्वतंत्र रूप से जांच-अनुसंधान का अधिकार है. किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं है. बिहार की पुलिस न्याय के मामले में ना किसी को बचाती है और ना ही किसी को छोड़ती है. एकरूपता से कार्रवाई करती है. मुंबई पुलिस को बिहार पुलिस के पदचिन्ह पर चलना चाहिए, ताकि मुंबई पुलिस की गिरी साख फिर से मजबूत हो सके.