पटना: बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र (Bihar Vidhan Sabha Winter Session 2023) छह से 10 नवंबर तक चलेगा. इससे पहले बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने नीतीश सरकार (Nitish Government) से बड़ी मांग कर दी है. सुशील मोदी (Sushil Modi) ने कहा कि विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में सरकार को जातीय सर्वे (Caste Survey) की पंचायत-वार रिपोर्ट और इस सर्वे के आधार पर तैयार होने वाले विकास मॉडल का प्रारूप सदन में रखना चाहिए.


बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देने के लिए पिछले साल बिहार सरकार ने डेडीकेटेड अतिपिछड़ा आयोग गठित किया था. उसकी रिपोर्ट जारी नहीं हुई. वह रिपोर्ट भी विधानमंडल में प्रस्तुत की जानी चाहिए. जातीय गणना का श्रेय लूटने में लगे आरजेडी-जेडीयू को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सकारात्मक वक्तव्य से तीखी मिर्ची लग रही है. वे बीजेपी की छवि बिगाड़ने के लिए केंद्र की प्रतिकूल टिप्पणी की उम्मीद कर रहे थे.


'जातीय सर्वे के निर्णय के समय सरकार में थी बीजेपी'


सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में जातीय सर्वे कराने का निर्णय उस एनडीए सरकार का था, जिसमें बीजेपी के 14 मंत्री थे. उस समय आरजेडी सरकार में नहीं थी. सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार आज उस कांग्रेस के साथ हैं, जिसने कई दशकों तक केंद्र और राज्यों की सत्ता में रहने के बाद भी न जातीय जनगणना कराई, न पिछड़ों को आरक्षण दिया.


'राहुल गांधी से क्यों नहीं बात कर रहे नीतीश?'


बीजेपी नेता ने कहा कि कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने 2015 में जातीय सर्वे कराया था. आठ साल से दबी उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए नीतीश कुमार क्यों नहीं राहुल गांधी से बात कर रहे हैं? तेलंगाना में केसीआर की सरकार ने भी जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी नहीं की.


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