पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने कहा कि शिक्षक नियुक्ति की नई नियमावली के विरुद्ध आंदोलन करने वालों की जायज मांग पर सरकार-समर्थक वामपंथी दल (Left Party) केवल घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. यदि हिम्मत है, तो वामपंथी दल शिक्षकों की मांग के मुद्दे पर नीतीश सरकार (Nitish Kumar) से समर्थन वापस लेने का निर्णय करें. सरकार नियोजित शिक्षकों की बात सुनने के बजाय उन्हें धमका रही है. 2019 में टीईटी (TET) उत्तीर्ण कर नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा करने वाले हजारों अभ्यर्थियों को सरकार धोखा दे रही है. इन्हें अब तक केवल आश्वसन देकर बहलाया जाता रहा और बीपीएससी (BPSC) का रास्ता दिखाया जा रहा है.


'तीसरी परीक्षा पास करने को बाध्य करना अन्यायपूर्ण है'


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों ने बीएड किया और टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण किया, उन्हें सरकारी शिक्षक बनने के लिए बीपीएससी के जरिए तीसरी परीक्षा पास करने को बाध्य करना अन्यायपूर्ण है. 4 लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों को बिना किसी परीक्षा के राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए. इनका नियोजन सरकार की ओर से तय प्रक्रिया के अनुसार हुआ है. नियोजित शिक्षकों को सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध आंदोलन का अधिकार है, लेकिन वे छात्रों की पढाई बाधित किये बिना अपना विरोध शांतिपूर्ण रखें.


1.78 लाख शिक्षकों की होनी है बहाली


बता दें कि सरकार ने हाल ही में 1.78 लाख शिक्षकों की भर्ती की मंजूरी दी है. यह भर्ती नई नियमावली के तहत होगी. कैबिनेट से फैसला आने के बाद इसका विरोध शिक्षक अभ्यर्थी और नियोजित शिक्षक कर रहे हैं. नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मी होने के लिए प्रतियोगिता परीक्षा देनी होगी. उन्हें इसमें पास करना होगा. इसलिए सरकार से इसे वापस लेने की मांग की जा रही है. शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ साथ शिक्षक संघ ने भी इसका विरोध किया है.


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