पटना: बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण की सीमा को 9वीं अनुसूची में शामिल किए जाने के मुद्दे पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने शनिवार को कहा कि यह जो बिहार सरकार दुष्प्रचार कर रही है कि आरक्षण के कानून को 9वीं सूची में शामिल कर दिया जाए तो उस पर कोई चुनौती नहीं होगी, कोई न्यायालय प्रक्रिया में नहीं जाएगा, यह पूरी से तरह गलत है. 2007 में ही क्योंकि जस्टिस सर्वाएके सुपरवाल की बेंच ने फैसला दिया है कि किसी भी नियम को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाता है तो उसे भी चुनौती दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में जो 69% आरक्षण हुआ है उससे भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. यह अलग बात है कि उस पर कोई अभी तक फैसला नहीं आया है.


'उनके पास तो लोकसभा में बहुमत नहीं है'


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तमिलनाडु के बाद आज तक किसी भी राज्य में इस तरह के विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन करने के लिए उनके पास तो लोकसभा में बहुमत नहीं है और संविधान में संशोधन करने के लिए सभी दलों की सहमति यह लंबी प्रक्रिया है तो यह गलत प्रचार करके यह कानूनी लड़ाई लड़ने के बजाए केंद्र के मत्थे फेंक रहे हैं.


ये लोग झूठा प्रचार कर रहे हैं- सुशील कुमार मोदी


9वीं अनुसूची में डालने के पक्ष में बीजेपी है या नहीं? इस पर सुशील मोदी ने सीधे तौर पर कहा कि तो कोई विषय ही नहीं है, क्योंकि 2007 के बाद यह क्लियर हो गया कि नौंवी अनुसूची में डालने पर भी न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है तो ये लोग झूठा प्रचार कर रहे हैं.


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