पटना: बिहार में बढ़ाई गई आरक्षण की सीमा के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर हो गई है. इसको लेकर राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी की तरफ इशारा करते हुए जेडीयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था कि यह तो पता ही था कि होगा. अब बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने सोमवार (27 नवंबर) को बयान जारी करते हुए दो पार्टियों पर साजिश करने का आरोप लगाया है.
बीजेपी को बदनाम करने का लगाया आरोप
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बीजेपी ने बिहार में जातीय सर्वे कराने से लेकर आरक्षण की सीमा बढ़ाने वाले विधेयक तक हर स्तर पर समर्थन किया, लेकिन पार्टी को बदनाम करने की साजिश के तहत आरजेडी-कांग्रेस ने आरक्षण सीमा बढ़ाने के विरुद्ध हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करा दी. इसका हश्र सबको पता है.
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश पर 55 साल राज करने वाली कांग्रेस ने काका कालेलकर समिति से मंडल आयोग तक हमेशा पिछड़ों-दलितों के आरक्षण का विरोध किया और आरजेडी ने 2001 में पिछड़ों को आरक्षण दिए बिना बिहार में पंचायत चुनाव कराए थे. पंचायतों में पिछड़ों को आरक्षण तब मिला, जब बीजेपी और सहयोगी दलों की सरकार बनी. उन्होंने कहा कि जब बिहार की कर्पूरी ठाकुर सरकार ने पिछड़े वर्गों को नौकरी में पहली बार 27 फीसद आरक्षण दिया था, तब कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और जनसंघ सरकार में शामिल था.
'दलितों की हितैषी बन रहा आरजेडी'
प्रधानमंत्री का नाम लेते हुए सुशील मोदी ने कहा कि पिछड़े-गरीब परिवार से आने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण देने के लिए आरक्षण की 50 फीसद की अधिकतम सीमा तोड़ कर जो रास्ता दिखाया, बिहार ने उसी का अनुसरण किया है. गरीब, पिछड़े और वंचित वर्गों के साथ खड़ी बीजेपी को आरजेडी-कांग्रेस बर्दाश्त नहीं कर पाते, इसलिए वे कोर्ट-कचहरी के जरिए राजनीति शुरू करते हैं. नीतीश कुमार का यह कहना सही है कि 2005 के पहले दलितों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता था. आरजेडी सरकार के समय लक्ष्मणपुर बाथे, बथानी टोला जैसे दर्जन भर बड़े नरसंहार हुए, लेकिन आज आरजेडी दलितों की हितैषी बन रहा है और खूनी इतिहास को भुलाना चाहता है.