पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने सोमवार को कहा कि बिहार में जातीय सर्वे ( Bihar Caste Survey Report) करने का निर्णय उस सरकार का था, जिसमें बीजेपी (BJP) शामिल थी. उन्होंने कहा कि जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी होने पर लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि 15 साल राज करने के दौरान उन्होंने जातीय जनगणना नहीं करायी थी. जातीय, आर्थिक, सामाजिक सहित कुल 27 बिंदुओं पर सर्वे कराया गया था. इन सभी बिंदुओं पर ग्राम स्तर के आंकड़ों के साथ सरकार को विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी चाहिए.


सुशील कुमार मोदी ने उठाया सवाल


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नगर निकायों में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष अतिपिछड़ा वर्ग आयोग बनाया था. उसकी रिपोर्ट अब तक क्यों दबाए रखी गई है? अभी जातीय सर्वे के केवल राज्यस्तरीय आंकड़े सामने आए हैं और ये अनुमान के अनुरूप हैं. हम सर्वे रिपोर्ट का गंभीरतापूर्वक अध्ययन कर अपनी नीतियां तय करेंगे.


जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी


बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले साल दो जून को जाति आधारित गणना कराने की मंजूरी देने के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की थी. बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय, जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है.


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