पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के लिए बीजेपी (BJP) में दरवाजा बंद हो गया है. वह भविष्य में इस पार्टी में चाह कर भी शामिल नहीं हो पाएंगे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि नीतीश कुमार रंग बदलने में गिरगिट को मात दे रहे, फिर बदलेंगे. उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं रही. अब बीजेपी के दरवाजे उनके लिए बंद हो चुके हैं.


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 2013 में नीतीश कुमार ने कहा कि मिट्टी में मिल जाऊंगा, लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा. चार साल बाद उन्हें गलती का एहसास हुआ. 2017 में फिर बीजेपी की शरण में आना पड़ा. नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनवाया, लेकिन आठ महीने बाद पलटी मार कर उनकी कुर्सी छीन ली और खुद मुख्यमंत्री बन गए. नोटबंदी का समर्थन करते हुए जिस नीतीश कुमार ने बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई की मांग की थी वही बेनामी संपत्ति के आरोप में घिरे तेजस्वी प्रसाद यादव के साथ सरकार चला रहे थे.


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'बार-बार खामियाजा भुगत रहा बिहार'


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 20 महीने महागठबंधन-01 की सरकार चलाने के बाद नीतीश कुमार को घुटन होने लगी थी. उन्हें लालू प्रसाद के दबाव में आरजेडी के बाहुबली नेता शहाबुदीन को छोड़ना पड़ा था. जिन लोगों ने नीतीश कुमार को "परिस्थितियों का मुख्यमंत्री" कहा और जिनके साथ काम करने में उनकी आत्मा गवाही नहीं देने लगी थी, उन्हीं के साथ फिर क्यों चले गए? नीतीश की गलतियों का खामियाजा बिहार को बार-बार भुगतना पड़ा. महागठबंधन-02 से भी उन्हें जल्द निराशा होगी और जब फिर उनकी अन्तरात्मा कुछ कहेगी, तब नाक रगड़ने पर भी बीजेपी के दरवाजे उनके लिए नहीं खुलेंगे.


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