Watch: 'सुशील कुमार मोदी गुस्सा होते थे तो...', फफक-फफक कर रो पड़े अश्विनी चौबे
Sushil Kumar Modi Died: अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि सुशील कुमार मोदी मेरे मित्र ही नहीं एक भाई के नाते मेरा उनसे पारिवारिक लगाव रहा है. डांट देता था तो वह गुस्सा नहीं होते थे.
Sushil Kumar Modi News: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी का सोमवार (13 मई) की देर शाम दिल्ली में निधन हो गया. कैंसर की बीमारी से लड़ रहे थे. अपने साथी और दोस्त को याद करते हुए बीजेपी सांसद अश्विनी कुमार चौबे फफक-फफक कर रो पड़े. उन्होंने कहा कि सुशील कुमार मोदी मेरे मित्र ही नहीं एक भाई के नाते मेरा उनसे पारिवारिक लगाव रहा है. मैं आज अपने ऐसे भाई को खो दिया है जो अपने व्यक्तित्व से राजनीति में उभरे. कभी-कभी मैं उनको डांट भी देता था, लेकिन वह गुस्सा नहीं होते थे.
'कभी किसी पर नहीं होते थे गुस्सा'
अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, "सुशील जी बहुत ही विनम्र व्यक्ति थे. सुशील जी कभी किसी पर गुस्सा नहीं होते थे. कभी किसी पर गुस्सा होते थे तो हमसे कहते थे चौबे जी हमने उसे डांट दिया है, कहीं गुस्सा ना हो जाए. मैंने काम के लिए डांटा था."
#WATCH | Bihar: Union Minister Ashwini Choubey breaks down while talking about the demise of former Bihar Deputy CM Sushil Modi.
— ANI (@ANI) May 14, 2024
Sushil Modi passed away at Delhi's AIIMS yesterday. The 72-year-old was battling cancer and was admitted to the intensive care unit of AIIMS. pic.twitter.com/Wb563i2YRO
'पार्टी के लिए रहता था समर्पण का भाव'
आंखों में आंसू लिए बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि सुशील कुमार मोदी का सबके प्रति परोपकार का भाव रहता था. पार्टी के लिए उनका समर्पण भाव था. उन्होंने कहा कि कहा जाए तो वह एक कंप्यूटर थे. जब कंप्यूटर आया तो सबसे पहले उन्होंने संस्थान में जाकर कंप्यूटर सीखा. सीखे भी थे और कंप्यूटर की तरह एक-एक डाटा उनको याद भी रहता था.
अश्विनी चौबे बोले- कभी नहीं छोड़ते थे किताब
सुशील कुमार मोदी के बारे में बताते हुए अश्विनी चौबे ने कहा, "मैं कह सकता हूं कि राजनीति में ऐसे प्रखर व्यक्तित्व और समाज के अंदर हर क्षेत्र का ज्ञान रखने वाले वो व्यक्ति थे. छात्र आंदोलन में, आपातकाल में हमने देखा है. हमारे साथ आपातकाल में महीनों पीएमसीएच में रहे थे. बीमार हालत में भी वह किताब को कभी नहीं छोड़ते थे. बराबर उनका हंसी-मजाक चलता रहता था.