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Sushil Kumar Modi Death: 'समय आ गया है...', सुशील कुमार मोदी की शादी में अटल बिहारी वाजपेयी ने क्या कहा था?

Sushil Kumar Modi Death News: सुशील कुमार मोदी बिहार में एबीवीपी के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक बन गए थे. राजनीति में अपने प्रवेश का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को देते थे.

Sushil Kumar Modi Death: बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे सुशील कुमार मोदी का सोमवार (13 मई) को दिल्ली एम्स में निधन हो गया. 72 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके निधन से शोक की लहर है. भारतीय जनता पार्टी की बिहार इकाई में संभवत उस सबसे बड़े नेता के तौर पर सुशील कुमार मोदी को जाना जाएगा जिन्हें राज्य में पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए धैर्यपूर्वक काम करने के लिए हमेशा याद किया जाएगा.

सुशील मोदी अक्सर कहते थे ये बात

सुशील मोदी अक्सर एक दिलचस्प किस्सा साझा करते थे. 1986 में उनके विवाह समारोह में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी आए थे. उन्होंने उनसे कहा था कि अब छात्र राजनीति छोड़ने और "पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता" बनने का समय आ गया है.

दरअसल, बिहार के एक वैश्य परिवार में जन्मे सुशील मोदी पटना विश्वविद्यालय में बीएससी की पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में शामिल हो गए और उन्होंने प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में 1974 के बिहार आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस दौरान वह भावी सहयोगी नीतीश कुमार और अपने विरोधी लालू प्रसाद के संपर्क में भी आए.

स्कूटर पर चलते थे सुशील कुमार मोदी

सुशील कुमार मोदी बिहार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक बन गए और अक्सर राजनीति में अपने प्रवेश का श्रेय दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को देते थे. उन्होंने 1990 में पटना मध्य विधानसभा सीट से अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत की और शहर के पुराने निवासी उन्हें एक विनम्र व्यक्ति के रूप में याद करते हैं जो स्कूटर पर चलते थे.

सुशील मोदी उन याचिकाकर्ताओं में से एक होने पर गर्व करते थे जिस पर पटना उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच सीबीआई द्वारा किए जाने के आदेश दिए थे. इसके कारण बाद में 1997 में लालू को मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था.

उन्होंने बिहार विधानसभा में विपक्ष के एक सशक्त नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई, इस पद पर वे 2004 तक रहे जब तक कि वे भागलपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित नहीं हो गए. हालांकि, एक साल बाद, राज्य विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल-कांग्रेस गठबंधन हार गया और मोदी बिहार में वापस आ गए.

सुशील मोदी को माना जाता था नीतीश का करीबी

सुशील मोदी को जनता दल (यूनाइटेड) के नेता एवं नीतीश कुमार का भी करीबी माना जाता था. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लंबे समय तक राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद भी सौंपा और मोदी ने दोनों जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाया जिससे उनके कई प्रशंसक बन गए.

2013 में नीतीश कुमार के बीजेपी से पहली बार अलग होने तक सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री के पद पर थे, और चार साल बाद जब जेडीयू सुप्रीमो एक बार फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हुए तो वह वापस इस पद आसीन किए गए. नीतीश कुमार और सुशील मोदी के बीच तालमेल बिहार की राजनीति में किंवदंतियों का विषय रहा है. जेडीयू नेता ने अक्सर अपने भरोसेमंद पूर्व उपमुख्यमंत्री जिन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद पद से हटा दिया गया था और राज्यसभा सदस्य के रूप में दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था, को दरकिनार कर दिए जाने पर अफसोस जताया करते थे.

यह भी पढ़ें- Sushil Kumar Modi Profile: छात्र राजनीति, विधायक, डिप्टी CM, सांसद, ऐसा रहा सुशील कुमार मोदी का सियासी सफर

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