पटनाः नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कोरोना संक्रमितों की मदद के लिए अपने सरकारी आवास में उन्होंने कोविड केयर सेंटर की शुरुआत की है. इस पर बुधवार को सवाल उठाते हुए बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राबड़ी देवी के 10 फ्लैट, कांति देवी से गिफ्ट में मिले दो मंजिला मकान में तेजस्वी यादव ने क्यों नहीं अस्पताल खोला?
सुशील मोदी ने कहा कि तेजस्वी यादव को सरकारी आवास के बजाय अवैध तरीके से पटना में अर्जित दर्जनों मकानों में से किसी को कोविड अस्पताल बनाना चाहिए था, जहां गरीबों का मुफ्त में इलाज होता. उनके परिवार में दो बहनें एमबीबीएस डॉक्टर हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में उनकी सेवाएं क्यों नहीं ली गईं?
‘किसी परिसर में बेड लगा देने से अस्पताल नहीं हो जाता’
यदि आरजेडी में गरीबों की सेवा के लिए तत्परता और गंभीरता होती, तो अस्पताल शुरू करने के लिए पहले सरकार से अनुमति ली जाती और उसके मानकों का पालन किया जाता. बिना डॉक्टर, उपकरण-स्वास्थ्यकर्मी के किसी परिसर में केवल कुछ बेड लगा देने से अस्पताल नहीं हो जाता. इससे केवल अस्पताल होने का नाटक किया जा सकता है.
‘स्थिति संभल गई तो हॉस्पिटल बनाने का क्या मतलब’
इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और इममागंज विधायक जीतन राम मांझी ने भी तेजस्वी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि जब पूरा पटना डूबा था, चमकी बुखार या अन्य संकट के समय था तो तेजस्वी यादव कहां थे. आज सब जान रहे हैं कि लॉकडाउन से कोरोना संक्रमण के दर में काफी गिरावट आई है. इनको कुछ करना ही था तो कोरोना संक्रमण की स्थिति जब भयावह थी तब करते. जब स्थिति संभल गई है तो अब हॉस्पिटल बनाने का क्या मतलब है.
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