पटनाः बीजेपी नेता और राज्य सभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के एक वर्ग की भावना का सम्मान करते हुए संसद से पारित कृषि कानून (Agriculture Law) वापस लेने की घोषणा कर बड़प्पन दिखाया. यह गुरु पर्व पर सद्भाव का प्रकाश फैलाने वाला ऐसा निर्णय है, जो प्रधानमंत्री मोदी को चुनावी राजनीति से ऊपर उठता हुआ कद्दावर स्टेट्समैन सिद्ध करता है.


किसानों के हित में था कृषि कानूनः सुशील मोदी


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इस ऐतिहासिक पहल को किसी की जीत-हार के रूप में लेने की क्षुद्रता नहीं होनी चाहिए. हालांकि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में थे, सरकार किसान प्रतिनिधियों से 11 चक्र में बातचीत कर इसमें और सुधार करने पर सहमत थी और सुप्रीम कोर्ट ने इनके क्रियान्वयन को स्थगित भी कर दिया था, फिर भी इन कानूनों को एक झटके में वापस लेना राजनीतिक नफा-नुकसान, दलगत मान-अपमान और तर्क-वितर्क से ऊपर उठकर अन्नदाता का दिल जीतने वाला निष्कपट कदम है.


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बिना शर्त समाप्त करना चाहिए धरना


वहीं, दूसरी ओर तीनों कृषि कानून वापस लेने के एलान के बाद भी किसान आंदोलन समाप्त करने के मूड में नहीं हैं. किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें. इसको लेकर सुशील कुमार मोदी ने किसानों से भी अपील की. उन्होंने कहा कि अब आंदोलनकारियों को अपना हठ छोड़कर बिना शर्त धरना समाप्त कर घर लौटना चाहिए.



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