पटनाबिहार ही नहीं बल्कि कई राज्यों से उच्च शिक्षा के लिए छात्र बाहर पढ़ने के लिए जाते हैं. कोटा जैसे शहरों में मेडिकल या इंजीनियरिंग के छात्रों की भीड़ है. कई बार ऐसे शहरों से छात्रों की खुदकुशी की भी खबरें सामने आती हैं. इसको लेकर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने मंगलवार (8 अगस्त) को बड़ी बात कही.


'विकसित करनी चाहिए प्रभावी व्यवस्था'


बीजेपी सांसद ने इंजीनियरिंग और मेडिकल के छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि का राज्यसभा में विशेष उल्लेख करते हुए सरकार से उच्च शिक्षण संस्थानों में काउंसिलर्स नियुक्त करने की मांग की. सुशील मोदी ने राजस्थान के कोचिंग हब कोटा में बिहार के एक छात्र की आत्महत्या करने की हाल की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक वर्ष के दौरान केवल कोटा में 18 छात्रों का आत्महत्या करना अत्यंत दुखद है. ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सरकार को कोई प्रभावी व्यवस्था विकसित करनी चाहिए.


आईआईटी, आईआईएम, एम्स और उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों का जिक्र करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि पिछले पांच साल के दौरान 75 छात्रों ने आत्महत्या कर ली है. उन्होंने सदन को बताया कि वर्ष 2021 में अलग-अलग कारणों से 18 साल से कम उम्र के 10,732 बच्चों ने खुद ही अपनी जिंदगी खत्म कर पूरी व्यवस्था को गंभीरता से सोचने के लिए बाध्य कर दिया है.


'ऐसी अप्रिय घटनाएं रोकी जा सकती हैं'


सुशील मोदी ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकन के लिए कड़ी स्पर्धा, नामांकन के बाद अच्छे अंक लाने का दबाव, अभिभावकों की अपेक्षा और निम्न-मध्यम वर्ग वाले परिवार से आने वाले छात्रों का आर्थिक दबाव आत्महत्या की घटनाओं के पीछे बड़ा कारण बताया जा रहा है. सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर सही समय पर छात्रों का सही मार्गदर्शन करने वाली व्यवस्था विकसित कर ऐसी अप्रिय घटनाएं रोकी जा सकती हैं.


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