पटना: बिहार विधानसभा में 29 साल के बाद सदन में सत्र के समापन समारोह के दौरान राष्ट्रगीत की परंपरा शुरू की गई जिसके लिए बीजेपी (BJP) के नेता और राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) को बधाई दी. वहीं, शीतकालीन सत्र के दौरान असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) के विधायक अख्तरुल ईमान (Akhtarul Iman) की ओर से राष्ट्रगीत पर उठाए गए सवाल पर सुशील मोदी ने कहा कि वंदे मातरम किसी दल का नहीं है बल्कि यह देशभक्ति का विषय है.


एआईएमआईएम की घटिया सोच हैः सुशील कुमार मोदी    


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि देश में रहने वाले सभी लोगों को राष्ट्रगीत का अपमान नहीं बल्कि अपनी स्वेच्छा से इसे गाना चाहिए. ओवैसी की पार्टी के जिस सदस्य ने राष्ट्रगीत का अनादर किया. उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. 29 साल बाद वंदे मातरम से सत्र के समापन की परिपाटी शुरू होने पर अनावश्यक विवाद पैदा करना एआईएमआईएम (AIMIM) की घटिया सोच का नतीजा है.


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सांसद राम नाईक की पहल पर हुई थी परंपरा की शुरुआत


राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने बताया कि दसवीं लोकसभा के सदस्य राम नाईक की पहल पर 24 नवंबर 1992 को राष्ट्रगीत से सत्र के समापन की परंपरा शुरू हुई थी. सभी धर्मों और सभी अलग-अलग वर्गों के लोगों ने इसका आदर किया. उसी समय से ही सरकार किसी की रही हो लेकिन सत्र की अंतिम कार्यवाही के बाद वंदे मातरम का गायन होता रहा है. इसे विधानसभा के अलावा विधान परिषद में भी लागू करना चाहिए.



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