पटना: भागलपुर पुल मामले को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है. पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने बुधवार को कहा कि जब बालासोर रेल दुर्घटना की जांच रेलवे सुरक्षा आयुक्त के अलावा सीबीआई से भी कराई जा सकती है, तो बिहार में निर्माणाधीन महासेतु के बार-बार ढहने की जांच भी तकनीकी कमेटी की जांच के साथ-साथ सीबीआई से भी कराई जा सकती है. महासेतु के डिजाइन में गलती थी या नहीं, इसकी जांच तो तकनीकी विशेषज्ञ ही करेंगे, लेकिन ऐसे कई सवाल हैं, जिनकी जांच वे नहीं कर सकते, जब पुल का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने किया और वे ही इसके निर्माण की मॉनिटरिंग कर रहे थे, तब कहां गलती हुई, इसकी जांच तकनीकी कमेटी कैसे कर सकती है? 


महागठबंधन सरकार पर साधा निशाना


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि निर्माण कार्य में इतनी देर क्यों हुई, जिससे इसका बजट 600 बढाकर 1710 करोड़ रुपये करना पड़ा? किनको लाभ पहुंचाने के लिए निर्माण में लापरवाही बरती गई? महासेतु निर्माण में अनियमितता, प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी को राजनीतिक संरक्षण देने जैसे मामले की जांच सीबीआई ही कर सकती है. जिस एजेंसी की गलती से महासेतु के पाये बार-बार ढहते रहे, उसी एजेंसी से नया पुल बनाने की बात सरकार कैसे कह सकती है?


अगर नया पुल बनेगा तो फिर नौ साल लगेंगे- सुशील मोदी


पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि क्या निर्माण एजेंसी से इस बात का करार हुआ है कि पुल गिरने या निर्माण में  गड़बड़ी पाये जाने पर नया पुल भी उसे ही बनाना पड़ेगा? यदि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ, तो पहले वाली एजेंसी से नया महासेतु कैसे बनवाया जा सकता है? अब अगर नया पुल बनेगा, तो फिर नौ साल लगेंगे और इसका बजट भी 3000 करोड़ तक बढ़ सकता है. उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? 


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