पटना: नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का न बिहार के बाहर कहीं प्रभाव है और न राज्य के भीतर वे अपना जनाधार बचा पाए, इसलिए विपक्षी एकता की उनकी मुहिम फ्लॉप कर गई. डेढ़ महीने में न कोई प्रमुख विपक्षी नेता उनसे मिलने आया, न वे किसी से मिलने गए. यह बातें बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने शुक्रवार को कहीं. सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को भरोसेमंद दोस्त बीजेपी का साथ छोड़ने के लिए पछताना पड़ेगा.
भविष्यवाणी करते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब नीतीश कुमार को कोई नेता मानने को तैयार नहीं, तब विपक्षी एकता के नाम पर जेडीयू का आरजेडी में विलय कराने के अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि गोपालगंज और मोकामा के उपचुनाव में नीतीश कुमार अपना लव-कुश और अतिपिछड़ा वोट आरजेडी को ट्रांसफर नहीं करा पाए. उनका आधार वोट बीजेपी की तरफ खिसक गया.
सुशील मोदी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद न मल्लिकार्जुन खरगे ने और न भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने ही नीतीश कुमार को आमंत्रित किया. विपक्षी एकता के नाम पर केसीआर बिहार आए थे, लेकिन नीतीश कुमार के साथ बात नहीं बनी. अब उन्होंने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय बना कर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी से हाथ मिला लिया.
'नीतीश के मिलने का कोई फॉलोअप नहीं हुआ'
उन्होंने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और केजरीवाल की पार्टी को एक साथ लाने में नीतीश कुमार कोई भूमिका नहीं निभा सके. दोनों जगह दोनों विपक्षी दल एक-दूसरे के खिलाफ भी लड़ रहे हैं. पिछले दिनों दिल्ली में केजरीवाल, चौटाला और अखिलेश यादव से नीतीश कुमार के मिलने का कोई फालोअप नहीं हुआ. केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ खड़ा होना नामंजूर कर दिया और आय से अधिक संपत्ति के मामले में घिरे ओम प्रकाश चौटाला ने चुप्पी साध ली.
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