Bihar News: सुशील मोदी ने राहुल गांधी को बताया 'विपक्ष का अघोषित प्रधानमंत्री', नीतीश कुमार को लेकर दिया ये बयान
Bihar Politics: सुशील मोदी ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष कोई राजनीतिक लाभ नहीं ले पाया. इसके विपरीत PM मोदी और गृह मंत्री ने सभी मुद्दों पर जवाब देकर 2024 के चुनावी एजेंडो को सेट कर दिया है.
Sushil Modi on Rahul Gandhi: पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने बिहार के सीएम नीतिश कुमार (Nitish Kumar) पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की बंगलुरू बैठक से लेकर लोकसभा (Lok Sabha) में अविश्वास प्रस्ताव लाने तक के घटनाक्रम से साफ है, विपक्ष की ओर से कांग्रेस (Congress) के राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ही प्रधानमंत्री पद के अघोषित उम्मीदवार होंगे. सुशील मोदी ने कहा कि इससे नीतीश कुमार का सपना टूट जाएगा.
विपक्ष द्वारा लोकसभा में पेश अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सुशील मोदी ने कहा कि, 'अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष कोई राजनीतिक लाभ नहीं ले पाया. इसके विपरीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने अपने सभी मुद्दों पर करारा जवाब देकर 2024 के चुनावों का एजेंडा भी सेट कर दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता का अमर्यादित भाषण और 'फ्लाइंग किस' वाला आचरण अच्छा नहीं था. मोदी ने कहा कि जिस विपक्षी एकता का ढोल पीटा जा रहा है, उसका पोल खुलने के डर से वे प्रस्ताव पर बहस के बाद सदन में मत-विभाजन से भाग गए. उन्होंने कहा कि सरकार के जवाब से निरुत्तर और हताश प्रस्तावक कांग्रेस सांसद ने बहस का जवाब देने के अपने अधिकार तक का उपयोग नहीं किया.
'सत्ता के अहंकार में नीतीश कुमार हकीकत को चाहते हैं भुलान'
बीते कुछ दिनों से सुशील कुमार मोदी जेडीयू और नव स्थापित विपक्ष इंडिया के खिलाफ हमलावर रहे हैं. उन्होंने जेडीयू के 16 सांसदों को लेकर दावा किया कि बीजेपी की बदौलत वे लोकसभा में 2 से 16 सीट पर पहुंच गए. सुशील कुमार मोदी ने नीतिश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 'सत्ता के अहंकार में नीतीश कुमार इस हकीकत को भुलाना चाहते हैं. वे मुगालते में न रहें. जो 2014 और 2019 में आए, वही बिहार की सभी 40 सीटें जीत कर 2024 में भी केंद्र की सत्ता में और शक्तिशाली होकर लौटेंगे.
इंडिया को लेकर सुशील कुमार मोदी ने क्या कहा?
नव स्थापित विपक्षी दल इंडिया को लेकर सुशील कुमार मोदी ने कहा कि एक वर्ष में महागठबंधन के साथ न कोई बड़ा नेता जुड़ा, न कोई दल. बिहार में घमंडिया इंडिया (I.N.D.I.A) कमजोर हुआ, जबकि चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के आने से एनडीए की ताकत बढ़ी.
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