पटना: बिहार के भागलपुर में हुए पुल हादसे पर सियासत जारी है. सरकार भी एक्शन मोड में है लेकिन बीजेपी लगातार सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की सरकार पर आरोप लगा रही है. मंगलवार (6 जून) को बयान जारी करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने की नीतीश कुमार की महत्वांकाक्षा पूरी करने की चक्कर में 1710 करोड़ का महासेतु भेंट चढ़ गया.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कुछ लोगों की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पूरा करने के लिए निर्माण विभाग के ठेकेदारों को पहले से ज्यादा चढ़ावा देना पड़ रहा है, जिससे हर निर्माण में कम और घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है. अगुवानी-सुल्तानगंज महासेतु के शिलान्यास के समय मुख्यमंत्री ही पथ निर्माण विभाग के भी मंत्री थे और पुल का टेंडर भी उन्हीं के समय हुआ था.
बाहरी टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी से हो जांच
गंगा नदी में गिरे महासेतु पर सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार जब लगातार पुल निर्माण की मॉनीटरिंग कर रहे थे तब आज किससे पूछ रहे हैं कि काम अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ? उन्होंने कहा कि महासेतु का हिस्सा बार-बार ढहने के मामले की जांच किसी बाहरी टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी से कराई जानी चाहिए.
'किसी सवाल का जवाब नहीं दे पाई सरकार'
सुशील मोदी ने यह भी कहा कि पथ निर्माण विभाग में लंबे समय से जमे प्रधान सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पुल संबंधी जांच प्रक्रिया से बिल्कुल अलग रखा जाए. यदि पुल की डिजाइन गलत थी तो उस पर काम करने की स्वीकृति किसने दी? नौ माह पहले सुल्तानगंज महासेतु का पाया ढहने पर भी समीक्षा हुई थी, लेकिन पूरे मामले पर लीपापोती हो गई. आईआईटी रुड़की की टीम को जांच करने में कई महीने क्यों लग गए? हमने पूरे मामले पर जो सवाल उठाए उनमें से किसी का जवाब सरकार नहीं दे पाई.
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