RJD की बैठक पर सुशील मोदी का हमला, कहा- हार की वजह जानने के लिए अपने गिरेबान में झांके राजद
सुशील मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि राजद में अगर किसी को लगता है कि राहुल गांधी नॉन सीरियस नेता हैं और चुनाव प्रचार या प्राकृतिक आपदा के समय उनका उपस्थित होना केवल राजनीतिक पर्यटन होता है, तो इन्हें अपने नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को भी इन्हीं मानकों पर क्यों नहीं परखना चाहिए?
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद आज आरजेडी ने पार्टी के सभी जीते और हारे हुए विधायकों की मौजूदगी में समीक्षा बैठक की. हालांकि, एनडीए के नेताओं ने आरजेडी की समीक्षा बैठक पर हमला बोला है और पार्टी को कई राय दिए हैं. राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा कि राजद को चुनावी हार का ठीकरा सहयोगी दल पर फोड़ने की बजाय अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए.
सुशील मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि राजद में अगर किसी को लगता है कि राहुल गांधी नॉन सीरियस नेता हैं और चुनाव प्रचार या प्राकृतिक आपदा के समय उनका उपस्थित होना केवल राजनीतिक पर्यटन होता है, तो इन्हें अपने नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को भी इन्हीं मानकों पर क्यों नहीं परखना चाहिए? तेजस्वी यादव भी चमकी बुखार, सीमांचल में बाढ़ और लाकडाउन के समय बिहार से गायब रहे, लेकिन चुनाव के समय सक्रिय हो गये.
राजद में अगर किसी को लगता है कि राहुल गांधी नॉन सीरियस नेता हैं और चुनाव प्रचार या प्राकृतिक आपदा के समय उनका उपस्थित होना केवल राजनीतिक पर्यटन होता है, तो इन्हें अपने नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को भी इन्हीं मानकों पर क्यों नहीं परखना चाहिए? तेजस्वी यादव भी चमकी बुखार......... pic.twitter.com/9mFxWUZFyO
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) December 21, 2020
उन्होंने कहा कि तेजस्वी भी राहुल गांधी की तरह वंशवादी राजनीति के कारण सीनियर नेताओं को किनारे कर पार्टी पर थोपे गए हैं और विधानसभा सत्र के दौरान लंबी छुट्टी पर जाकर अपना नॉन सीरियस रवैया जाहिर करते हैं. राजद को समीक्षा बैठक में सहयोगी दलों पर हार का ठीकरा के बजाय अपने गिरेबान में झांकना चाहिए.
सुशील मोदी ने कहा कि 2019 के संसदीय चुनाव में जब राजद का खाता नहीं खुला था, तब कांग्रेस कम से कम एक सीट महागठबन्धन के खाते में लाने में सफल हुई थी. उस समय भी राहुल गांधी ही कांग्रेस के नेता थे, लेकिन तब राजद को कोई शिकायत नहीं थी.
दरअसल राजद नोटबंदी, जीएसटी और सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण देने जैसे एनडीए सरकार के बड़े फैसलों का विरोध करने के कारण जनता के चित से उतरता चला गया. अब किसानों की आय बढाने वाले कृषि कानूनों का विरोध कर राजद वही गलती दोहरा रहा है.
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