पटना: राजधानी पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने ब्राह्मणों और पंडितों को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. बयान के सामने आने के बाद से लगातार उनकी किरकिरी हो रही है. विपक्ष के नेताओं के साथ-साथ एनडीए घटक दल के नेता भी उनके बयान की निंदा कर रहे हैं. खासकर बीजेपी के नेता लगातार उनकी आलोचना कर रहे हैं. हालांकि, इस वार-पलटवार के बीच बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी मांझी के समर्थन में उतरे हैं. उन्होंने मांझी पर टिप्पणी कर रहे बीजेपी नेताओं को साफ तौर बयानबाजी करने से मना किया है.
चैप्टर को यहीं बंद हो जाना चाहिए
उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, "पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एनडीए के वरिष्ठ नेता हैं. उन पर घटक दलों की ओर से कोई बयानबाजी नहीं होनी चाहिए. जिस बयान को तूल दिया गया, उस पर जब मांझी ने माफी मांग ली, अपने आवास पर बुलाकर ब्राह्मणों को सम्मान के साथ भोजन कराया और दक्षिणा देकर विदा किया, तब इस चैप्टर को यहीं बंद हो जाना चाहिए."
बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
सुशील मोदी ने कहा, "जिसने मांझी को धमकी दी, उसे बीजेपी ने निलंबित कर साफ संदेश दिया कि दलित समाज को धमकाने या अपमानित करने वालों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी सबका साथ, सबका विकास और सबका सम्मान सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है."
दरअसल, बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक कार्यक्रम के दौरान पंडितों के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, " माफ कीजिएगा, लेकिन आजकल गरीब तबके के लोगों में धर्म के प्रति लगाव होता जा रहा है. पहले हम लोग सत्यनारायण भगवान पूजा का नाम नहीं जानते थे. आज हर जगह हम लोगों के टोला में सत्यनारायण भगवान की पूजा होता है. पंडित आते हैं, पूजा कराते हैं. लेकिन हमारे घर खाना नहीं खाते, कहते हैं पैसे ही दे दीजिए.” इस दौरान उन्होंने पंडितों को लेकर जिस शब्द का इस्तेमाल किया उसे एबीपी न्यूज लिख भी नहीं सकता है. हालांकि, इसके बाद उन्होंने माफी मांगी और 27 को अपने आवास पर ब्राह्मणों को भोजन कराया.
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