पटना: राजधानी पटना के ज्ञान भवन में दो दिवसीय इन्वेस्टर्स मीट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) दूसरे दिन गुरुवार (14 दिसंबर) को शामिल हुए लेकिन उन्होंने भाषण नहीं दिया. इस पर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने तंज कसा है. शुक्रवार (15 दिसंबर) को बयान जारी करते हुए कहा कि निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए मुख्यमंत्री का उद्बोधन अनिवार्य था, लेकिन उनके सलाहकारों ने बोलने से मना कर दिया क्योंकि फिर कहीं विधान मंडल में दिए गए भाषण के जैसा मुंह से कुछ न निकल जाए, जिससे सरकार की फजीहत हो जाए.


'तेजस्वी को निवेशक देखते तो...'   


सुशील मोदी ने कहा कि कार्यक्रम में तेजस्वी यादव भी नहीं आए जबकि उद्योग विभाग आरजेडी के कोटे में है. तेजस्वी यादव को तो मना किया गया क्योंकि उनको देखते निवेशकों को लालू राज की याद आ जाती है. बड़ी संख्या में इन्वेस्टर्स मीट में आए हुए निवेशकों पर दबाव डालकर एमओयू (MoU) हस्ताक्षर करवाया गया ताकि किसी तरह 50 हजार करोड़ का आंकड़ा पहुंचा जा सके.


आगे बीजेपी सांसद ने कहा कि एसआईपीबी से जिनका प्रस्ताव पहले ही स्वीकृत हो चुका है, पहले से जो विस्तारीकरण में लगे हैं, उन सबको MoU में शामिल कर लिया गया है. लोगों पर दबाव बनाया गया कि निवेश करना हो या न करना हो परंतु कुछ भी भर दीजिए. मुश्किल से पांच हजार करोड़ के भी गंभीर प्रस्ताव नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अडानी समूह को छोड़कर टाटा, बिरला, अंबानी, मित्तल जैसा कोई बड़ा समूह नहीं आया. बिहार के ही वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल भी नहीं आए. बिहार के स्थानीय उद्योग संगठन की घोर उपेक्षा की गई.


'बीजेपी की सरकार बनेगी तभी गंभीर निवेशक आएंगे'


सुशील मोदी ने कहा कि 2011 और 2016 की औद्योगिक नीति के तहत निवेशकों का करीब 800 करोड़ बकाया है. इसकी वसूली के लिए निवेशकों को अवमानना का मुकदमा करना पड़ रहा है, तब भी भुगतान नहीं मिल रहा है. बियाडा में रद्द की गई 1500 इकाइयों को पुनः बहाल किया जाए. उन्होंने कहा कि विदेशों से आए प्रतिनिधियों में दो प्रकार के लोग थे. एक तो वह लोग थे जो जाड़े में छुट्टियां मनाने बिहार आते हैं. दूसरा राजनयिक थे जो हर राज्य के बुलावे पर पहुंच जाते हैं. कहा कि निवेशकों का भरोसा नीतीश, लालू, राहुल पर से समाप्त हो चुका है. बीजेपी की सरकार बनेगी तभी गंभीर निवेशक बिहार आएंगे.


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