रांची: झारखंड के सरकारी स्कूलों के शिक्षक अब जल्द ही बोरियां बेचते नजर आएंगे. दरअसल, झारखंड सरकार की ओर से राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक आदेश निकाला गया है. विभागीय स्तर पर एक पत्र के माध्यम से कहा गया है कि सभी स्कूल मिड डे मील से जुड़े खाद्यान्न की खाली बोरियां इकट्ठा करें और उसे बेचने की व्यवस्था करें. इस फरमान के आने के बाद झारखंड के सरकारी शिक्षकों में काफी आक्रोश है.


दरअसल, अब इन शिक्षकों को जब से मिड डे मील चालू किया गया है, तब से अब तक के तमाम बोरियों को इकट्ठा करना है और उन्हें बेच सरकार को इसकी सूचना भी देनी है. शिक्षक कहते हैं यह बोरियां अब तक स्कूल में पड़े-पड़े खराब हो गई हैं. कई बोरी ऐसी हैं, जिन्हें चूहे कई जगह से काट चुके हैं. अब इन बोरियों को बेचना काफी मुश्किल है. ऐसे में सरकार को इस फैसले पर पुनः ध्यान देना चाहिए.


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बिहार के बाद अब झारखंड में भी फरमान जारी


सरकार द्वारा दिए इस फरमान में आगे कहा गया है कि यह फैसला राज्य कार्यकारिणी समिति के निर्णय में लिया गया है. अतः राज्य के सभी स्कूलों को आदेश दिया गया है कि 15 दिनों के अंदर अनाज की बोरियों को बेच इसकी राशि सरस्वती वाहिनी संचालन समिति के खाते में जमा करें. मालूम हो कि कुछ समय पहले बिहार के कटिहार में भी शिक्षक बोरियां बेचते नजर आए थे.


फरमान की बीजेपी ने की कड़ी निंदा


इधर, हेमंत सरकार के इस फैसले की बीजेपी ने कड़ी निंदा की है. बीजेपी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झारखंड सरकार ने शिक्षकों से बोरियां बिकवाने का जो निर्णय लिया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. पहले से ही शिक्षकों को चुनाव कार्य में लगाया जाता रहा है. सरकार ने शिक्षकों को स्कूल भवन का ठेकेदार तक बना दिया है. अब उनसे मिड डे मील में आए अनाज की बोरियों को बिकवा कर पैसे लेना, इस सरकार की सोच को दर्शाता है. जिनके जिम्मे पूरे राज्य के बच्चों में शिक्षा का अलख जगाना है, वो अब बोरियों की गिनती और उसकी बिक्री पर ध्यान देते रहेंगे. राज्य सरकार अविलंब इस निर्णय को वापस ले.


शिक्षा मंत्री ने कही ये बात


वहीं, इन सब सवालों को लेकर एबीपी न्यूज की टीम ने जब झारखंड शिक्षा मंत्री से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर शिक्षक बोरियां बेच रहे हैं, तो उसमें गलत क्या है. यह सरकार की संपत्ति है. बोरियों की बिक्री से जो भी राशि आएगी वह सरकारी खाते में जमा होगी.


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