पटना: नियोजित शिक्षकों (Niyojit Teacher) को राज्यकर्मी बनाने के लिए बिहार बोर्ड (Bihar Board) की तरफ से सक्षमता परीक्षा ली जाएगी. परीक्षा में सफल होने पर नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा. परमानेंट नौकरी हो जाएगी, जो नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा में पास नहीं होंगे उनकी नौकरी चली जाएगी. अब इसको लेकर नियोजित शिक्षकों में नाराजगी है. सक्षमता परीक्षा के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को जिम्मेवारी सौंपी गई है. वहीं, इस आदेश के बाद शिक्षक संघ ने मोर्चा खोल दिया है. इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. बता दें कि सरकारी स्कूलों में नियोजित शिक्षकों की संख्या करीब 4 लाख है.
यह घोर निंदनीय फैसला है- प्रारंभिक शिक्षक संघ
नियोजित शिक्षकों को लेकर शिक्षा विभाग के इस फैसले पर प्रारंभिक शिक्षक संघ के संयोजक राजू सिंह (नियोजित शिक्षक) ने कहा कि शिक्षक नियोजन नियमावली के अनुसार 60 वर्ष की उम्र तक नियोजित शिक्षकों के नौकरी में बने रहने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि यह घोर निंदनीय फैसला है. यह शिक्षक नियोजन नियमावली के विपरीत आदेश है. इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. नियोजित शिक्षकों को अलग अलग फैसलों के जरिए प्रताड़ित किया जा रहा है.
'सक्षमता परीक्षा में पास होने के लिए 3 मौके दिए जाएंगे'
बता दें कि नियोजित शिक्षक के लिए पहली सक्षमता परीक्षा 26 फरवरी से आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा में पास होने के लिए तीन मौके दिए जाएंगे. 26 फरवरी को होनी वाली पहली सक्षमता परीक्षा एवं उसका परिणाम घोषित करने के बाद तीन चरणों में लगातार परीक्षाएं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा ली जाएंगी, जो शिक्षक इन चारों चरण में होने वाली परीक्षाओं में से तीन चरणों की परीक्षा में नहीं बैठते हैं या फिर तीन से कम चरणों में बैठते हैं या तीन चरणों की परीक्षा में बैठने के बाद पास नहीं होते हैं, तो उन सभी स्थानीय निकाय शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी.
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