Bihar Teacher News: बिहार में शिक्षकों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर नई नियमावली जारी हो गई है. शिक्षकों को इसका लंबे समय से इंतजार था. हालांकि नई पॉलिसी जारी होने के बाद कई खामियां बताई जा रही हैं. शिक्षक संघ ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. कोर्ट तक जाने की बात कह रहे हैं. शिक्षक संघ का कहना है कि इससे यूपी-झारखंड वालों को फायदा होगा.


संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि जो नियमावली आई है उसके अनुसार पुरुषों की पोस्टिंग गृह अनुमंडल में नहीं होगी. तो कई जिलों में एक ही अनुमंडल है वहां क्या होगा? यह बाध्यता पुरुष शिक्षकों के साथ ही क्यों है? शिक्षिकाओं के लिए गृह पंचायत में पोस्टिंग नहीं होने की बाध्यता है, वही नियम पुरुषों के लिए भी होना चाहिए. दूसरा है कि किसी भी शिक्षिका की पोस्टिंग उसके गृह नगर निकाय या वर्तमान नगर निकाय में भी नहीं होगी. यह शहरी क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं पर बहुत बड़ा जुर्म है. शहरी क्षेत्र की महिलाओं की पोस्टिंग सुदूर गांव में क्यों? अपने गृह नगर निकाय में उनकी पोस्टिंग से आखिर दिक्कत क्या है?


शिक्षक संघ ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप


अमित विक्रम ने कहा कि असाध्य रोगों से ग्रसित एवं दिव्यांग शिक्षकों को भी अपने गृह पंचायत या नगर निकाय में पोस्टिंग नहीं मिलेगी. ये कैसा नियम है? इन दोनों समूह वर्गों के शिक्षकों को तो अपने घर के सबसे नजदीक विद्यालय में पोस्टिंग मिलनी चाहिए, चाहे वो उनका गृह पंचायत हो या नगर निकाय हो. ये बाध्यता क्यों? उन्होंने कहा कि इस नियमावली में सबसे खराब प्रावधान है हर पांच साल में जबरन ट्रांसफर का, यह समझ में नहीं आ रहा है कि आज तक पूरे इतिहास में कभी शिक्षकों के लिए जबरन ट्रांसफर का प्रावधान नहीं रहा है. फिर इस बार ऐसा क्यों? क्या हर पांच साल में सरकार ट्रांसफर के माध्यम से अवैध कमाई करना चाहती है?


यूपी-झारखंड वालों को शहरी क्षेत्र में मिल जाएगी पोस्टिंग


संघ के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि इस नियमावली से सबसे ज्यादा फायदा यूपी-झारखंड वाले शिक्षकों को है. उन पर गृह नगर निकाय या अनुमंडल वाला नियम लागू ही नहीं होगा और उन्हें आराम से शहरी क्षेत्रों में पोस्टिंग मिल जाएगी. बिहार की महिलाएं गांवों में और बाहर की महिलाएं शहरों में, ये दोहरी नीति क्यों? ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति पर अभी भी शिक्षक संघों के साथ बैठक करने की जरूरत है ताकि आवश्यक बदलाव किया जा सके नहीं तो यह मामला हाईकोर्ट जाएगा और ट्रांसफर-पोस्टिंग पॉलिसी लागू नहीं हो पाएगी.


ट्रांसफर पोस्टिंग नीति के संबंध में टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ की ओर से भी आपत्ति जताई गई है. संघ के संयोजक राजू सिंह ने कहा कि बीपीएससी और नियमित शिक्षक की तरह ही सक्षमता पास शिक्षकों का ट्रांसफर अनिवार्य के बजाय स्वैच्छिक होना चाहिए. पुरुष शिक्षकों को अनुमंडल के बजाय पदस्थापित/गृह प्रखंड से अन्य प्रखंड में जाने का मौका मिले न कि अनुमंडल स्तर पर पोस्टिंग हो. 


उन्होंने कहा कि बांका, जमुई, जहानाबाद, किशनगंज, लखीसराय, शेखपुरा और शिवहर में एक ही अनुमंडल है. इस स्थिति में इस नियम के तहत वहां के पुरुष शिक्षक कहां जाएंगे? जबकि बीएसईबी की ओर से जारी रिजल्ट कार्ड में उन्हें अपना गृह जिला अलॉट हुआ है. उन्होंने कहा कि मेरा सुझाव है कि सरकार शिक्षकों का ट्रांसफर अनुमंडल की जगह प्रखंड स्तर पर करे तो ज्यादा बेहतर होगा. पांच साल की अनिवार्य ट्रांसफर नीति भी सही नहीं है. इस शर्त को भी हटाना चाहिए. इसे सेवा काल में पांच बार ऐच्छिक करना चाहिए. पति-पत्नी की सुविधा को ध्यान में रखते हुए गृह अनुमंडल से बाहर एक साथ देने के बजाय गृह अनुमंडल या गृह अनुमंडल के अंतर्गत बगल के प्रखंड में एक ही स्कूल में पोस्टिंग की जाए. दिव्यांग और असाध्य रोग वालों की सुविधा को देखते हुए उन शिक्षकों की गृह पंचायत में पोस्टिंग की जाए.


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