पटना: बीमार आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की रिहाई को लेकर गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास आज़ादी पत्र का पहला खेप भेजा गया. दरसअल, लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप ने पिता लालू यादव की रिहाई के लिए मुहिम चलाई थी, जिसमें उन्होंने लालू समर्थकों द्वार लिखे 2 लाख आजादी पत्र राष्ट्रपति को भेजने का टारगेट रखा था. आज एक लाख पत्र का टारगेट पूरा हो गया, जिसके बाद सभी पत्रों को पटना स्थित जीपीओ डाकघर भेजा गया, जहां से सभी पत्रों को राजभवन कुरियर किया गया.


पत्रों में लिखी गयी है ये बात


बता दें कि बीमार आरजेडी सुप्रीमो की रिहाई को लेकर तेज प्रताप द्वारा चलाए गए इस मुहिम में आरजेडी कार्यकर्ता बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं. यही वजह है कि तकरीबन एक हफ्ते से भी कम समय में एक लाख पत्र भेजे गए हैं. हालांकि, इस लेटर में किसी पार्टी का नाम नहीं दिया गया है, केवल व्यक्ति का नाम है. लालू यादव की रिहाई के लिए लिखे गए इन पत्रों में कहा गया है कि लालू यादव की उम्र 75 साल से ज्यादा हो गयी है और वो कई बीमारियों से जूझ रहे हैं, ऐसे में उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाए. यह मुहिम 25 जनवरी को शुरू की गई थी.


आगे भी जारी रहेगी मुहिम


पत्र भेजते हुए तेज प्रताप के निजी सहयोगी आकाश यादव ने एबीपी न्यूज को बताया कि प्रदेश में लालू यादव के चाहने वाले कम नहीं हैं. ऐसे में पत्रों की यह पहली खेप राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजी जा रही है. आगे इस मुहिम को जारी रखने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर पत्र की मांग बढ़ी है. हम और पत्र छपवा कर उन तक पहुचाने जा रहे हैं, जिसके बाद लाखों की संख्या में और पत्र राष्ट्रपति के पास भेजे जायंगे.


क्या है पत्र भेजने का मकसद?


मालूम हो कि यह पत्र भेजने का मकसद जेल में कैद बीमार लालू यादव को रिहा करवाना की है. शुक्रवार को लालू यादव की रिहाई को लेकर दायर याचिका पर रांची हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. बता दें कि लालू यादव के वकील ने कोर्ट से उनकी बीमारी को देखते हुए जमानत देने की मांग की है.


दिल्ली के एम्स में चल रहा इलाज


फिलहाल, चारा घोटाला मामले में सजयाफ्ता लालू यादव अपना इलाज दिल्ली स्थित एम्स में करवा रहे हैं. दो हफ्ते पहले उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गयी थी, जिसके बाद उन्हें रांची के रिम्स से दिल्ली के एम्स शिफ्ट किया गया था. बताया जा रहा है कि उनकी किडनी में पानी भर गया है, जिसका बेहतर इलाज एम्स में ही मुमकिन है.