पटना: बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा गरमाता जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 48 से 72 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी स्थिति को स्पष्ट कीजिए. आप जातीय जनगणना कराएंगे कि नहीं कराएंगे और कराएंगे तो कब कराएंगे? आप बताइए.
आरजेडी नेता ने कहा, “इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हम मुख्यमंत्री जी से कहना चाहते हैं कि 48 से 72 घंटे के बीच आप हमको बुलाइए. अगर आप नहीं बुलाते हैं तो हम आपसे समय मांगेंगे. इस समय सीमा में आप हमको बुलाइए और पूरी बात बताइए. अपना इरादा और मंशा बताइए कि जातीय जनगणना पर क्या करना चाहते हैं?"
नागपुर के इशारे पर चल रही बिहार में एनडीए सरकार
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि हमलोग इनके डीले टैक्टिस में फंसने वाले नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर तय समय सीमा में समय नहीं मिलता है तो पार्टी के लोग मिलकर आगे की रूपरेखा तय करेंगे. फिलहाल समय मिलने का इंतजार है. नेता प्रतिपक्ष इस दौरान नीतीश कुमार पर हमलावर दिखें. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और राज्य में एनडीए की सरकार नागपुर के इशारे पर चल रही है.
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जातीय जनगणना सहित अन्य ज्वलंत मुद्दों पर हुई चर्चा
बता दें कि मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ दो दिवसीय बैठक में जातीय जनगणना, महंगाई, रोजगार, पलायन, बिहार में बढ़ती गरीबी, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और पैकेज सहित अन्य ज्वलंत मुद्दों पर विशेष रूप से चर्चा की गई. इस दौरान तेजस्वी ने कहा कि जनता के सवालों पर तथा बेरोजगारी और जातीय जनगणना की मांग को लेकर एक बड़ा संघर्ष और आन्दोलन किया जाएगा. इन सब सवालों को लेकर पटना से दिल्ली तक पदयात्रा की जाएगी.
सर्वदलिय सहमति के साथ पीएम मोदी से मिले थे
आरजेडी नेता ने कहा कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर सर्वदलिय शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मिला था. तब सभी लोग मिलकर सहमति के साथ इस मुद्दे पर गए थे और मुख्यमंत्री भी जातीय जनगणना कराने के सवाल पर पूरी तरह सहमत थे. जब केंद्र सरकार ने इंकार किया तो नीतीश कुमार ने स्वयं कहा था कि हम अपने स्तर से बिहार में जातीय जनगणना कराएंगे. लेकिन, अब वो ऑल पार्टी मीटिंग बुलाने की बात करने लगें, इसकी कोई जरूरत नहीं है.
जातीय जनगणना सरकार का काम है, विपक्ष का काम नहीं
तेजस्वी यादव ने कहा कि दो-दो बार बिहार विधानसभा और विधान परिषद से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार के पास भेजा गया है तो अब किस दबाव और मंशा के तहत इस तरह की बातें कर रहे हैं, ये स्पष्ट करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना सरकार का काम है, विपक्ष का काम नहीं. आखिर क्या कारण है कि आप अपने वादे से मुकर रहे हैं? आखिर क्या कठिनाई है स्थिति स्पष्ट करे?
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