पटना: रविवार को रूपेश सिंह के परिवार से मिलने पहुंचे तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा है कि रूपेश हत्याकांड में अपराधी तो दूर अब तक कोई सुराग नहीं मिला है. इन्वेस्टिगेशन स्लो है. इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार के मंत्रियों पर इस कांड में शामिल होने का आरोप भी लगाया.
परिवार को मिले सुरक्षा
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अबतक परिवार को कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराया गया. हम मांग करेंगे कि परिवार को सुरक्षा मिले. हमने पहले ही कहा है कि कई बड़े लोग हों, सरकार के मंत्री भी हो सकते हैं. क्योंकि पहले भी ऐसी घटनाएं हुईं जैसे बालिका हत्याकांड. ऐसा तो नहीं कि कई बड़े चेहरे हों इसलिए मामले को दबाया जा रहा है. क्या ऐसी वजह है जो स्लो इन्वेस्टिगेशन करके मामले को रफ़ा-दफ़ा किया जा रहा है? छोटे बच्चे हैं और उनके पास सुरक्षा नहीं है. हम चाहते हैं कि कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच हो.
रुपेश सिंह की पत्नी को रोजगार दिलाएंगे
तेजस्वी यादव ने कहा कि हम रूपेश सिंह की पत्नी को रोजगार दिलाने का काम करेंगे. हमारी जो भी क्षमता है उसके हिसाब से प्रयास करेंगे कि कहीं एडजस्टेंट हो जाए ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो जाए.
सत्ता पक्ष फोटो खिंचाने आते हैं
तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में अपराध बढ़ रहा है. ऐसा लग रहा है कि सरकार अपराधियों को संरक्षण देने का काम कर रही है. पांच दिनों से ज्यादा का वक्त हो गया लेकिन कोई सुराग तक पुलिस को नहीं मिला है. नीतीश कुामर थके हुए मुख्यमंत्री नजर आते हैं. सत्ता पक्ष के लोग फोटो खिंचवाने आते हैं. आप माने या ना माने लेकिन अद्भुत है कि सीएम के आवास से दो किमी दूर पुनाईचक में अपराधी 15 राउंड गोली चलाते हैं और 6 बुलेट रूपेश को लगता है. अपराधी भाग जाते हैं लेकिन अबतक कोई पट्रोलिंग नहीं हुई.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सीएम की बौखलाहट तो पत्रकारों के सवाल से दिखी. अब डीजीपी पल्ला झाड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीते 16 सालों से नीतीश कुमार की सरकार है और बात करते हैं हड़प्पा काल की. डीजीपी भी 2019 की क्राइम का हवाला दे रहे हैं, तब भी नीतीश कुमार की सरकार थी. ऐसा बयान ग़ैर ज़िम्मेदाराना है. ऐसे लोगों से कोई उम्मीद नहीं है.
सीएम के परिवार से नहीं मिलने पर भी उठाया सवाल
तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को लेकर कि इतनी बड़ी बड़ी घटनाएं हुईं और सीएम घर में बैठे हैं. कम से कम अपराध को रोक नहीं पाए लेकिन पीड़ितों से मिलकर उन्हें मज़बूती तो दीजिए. उनके भविष्य को बेहतर तो बनाइए. इतना काम तो हो ही सकता है और अगर नहीं तो सीएम रहने का क्या फ़ायदा? अगर ज़बरदस्ती के सीएम हैं तो गृह मंत्रालय की कुर्सी छोड़ दें. ये सत्ता के लोभी हैं जिन्हें अपने स्वार्थ की पूर्ति करनी है.
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