पटना: बिहार सरकार ने सभी विभागों से वैसे कर्मियों को जबरन रिटायर करने का आदेश जारी किया है, जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है और वे कुशलतापूर्वक काम नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि, सरकार के इस आदेश पर अब विवाद शुरू हो गया है. गुरुवार को दिल्ली से बिहार लौटे तेजस्वी ने नीतीश सरकार के इस फैसले पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए पूछा कि जो लोग रिटायर होंगे उनके बच्चों का क्या होगा? उन्हें तो रोजगार नहीं मिला है. वो पहले से ही बेरोजगार हैं. ऐसे में उनके पिता के भी बेरोजगार होने पर उनका घर कैसे चलेगा?
तेजस्वी ने याद दिलाया चुनावी वादा
तेजस्वी ने अपने चुनावी वादे को याद दिलाते हुए कहा कि चुनाव के समय उन्होंने कमिट किया था कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो इन कर्मियों के रिटारमेंट की जो उम्र है, वही रहेगी. जबकि इस सरकार में जो भी पचास वर्ष से अधिक के सरकारी कर्मचारी या पुलिस कर्मी हैं, उनको जबरन रिटायर किया जा रहा है.
क्या है बिहार सरकार का नया आदेश?
बता दें कि बिहार सरकार ने 50 साल से अधिक उम्र वाले सरकारी कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट देने का फैसला किया है. इसे फैसले को लागू करने के लिए 25 जनवरी को गृह विभाग ने दो समितियों का गठन किया है. इन दोनों समितियों का काम सभी विभागों में काम कर रहे पचास वर्ष से अधिक उम्र वाले कर्मचारी के काम की मोनिटरिंग करना होगा. इसके बाद रिटायरमेंट ड्राइव चला कर उनकी नौकरी समाप्त कर दी जाएगी.
बिहार सरकार के फैसले का किया विरोध
हालांकि, सचिवालय सहायक सेवा संघ और बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन ने सरकार के इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया है. इन दोनों संगठनों ने सरकार को चेतावनी भी दे दी है. बिहार सचिवालय सहायक संघ के महासचिव अशोक कुमार सिंह ने नए प्रावधान को तुगलकी फरमान बताया है. वहीं, पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष एनके नीरज ने सरकार के इस फैसले को सामूहिक जनसंहार जैसा करार दिया है.
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