पटना: कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच मंगलवार को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उन्हें और राज्य के सभी विधायकों को ये अनुमति दें कि वे राज्य के किसी अस्पताल, पीएचसी, कोविड केयर सेंटर आदि के अंदर जाकर मरीजों और उनके परिजनों से मिल सकते हैं. उन्हें राहत पहुंचाने के लिए कोविड केयर सेंटर खोल सकते हैं और सामुदायिक किचन आदि भी चला सकते हैं.
पत्र का जवाब ना देना उचित नहीं
तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में लिखा, " बहुत आशा के साथ एक और बार आपको पत्र लिख रहा हूं. उम्मीद है इस बार जवाब मिलेगा. कई बार मैं अचंभित भी होता हूं कि गांधी, लोहिया, जेपी और कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा पर चलने का दंभ भरने वाले मुख्यमंत्री इतना अलोकतांत्रिक कैसे हो सकते हैं, कि वो नेता विरोधी दल के पत्र का जवाब देना भी उचित नहीं समझते. यह लोकतांत्रिक परंपराओं और संसदीय प्रणाली के लिए कतई उचित नहीं है.'
नेता प्रतिपक्ष ने लिखा, " मुख्यमंत्री जी, जैसा कि आप जानते हैं, राज्य में वैश्विक महामारी कोविड-19 के साथ-साथ अव्यवस्था और सरकार की असंवेदनशीलता भी चरम पर है. अब यह महामारी शहरी इलाके के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी भयावह रूप से फैल चुकी है. बिहार की स्वास्थ्य संरचना और सेवाओं की क्या स्थिति है, यह भी सबको पता है, इसलिए अब कुछ कीजिए."
सत्ताधारी दल के नेताओं पर कसा तंज
सर्वदलीय बैठक में दिए गए अपने सुझावों का जिक्र करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अगर सुझावों का पालन होता तो शायद वास्तविक आंकड़े सार्वजनिक हो जाते और संस्थागत भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जाता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. तेजस्वी यादव ने कहा, " जब कोई बड़ा संकट आता है तो पीड़ितों द्वारा अपना तारणहार खोजना स्वाभाविक है. आपके दल के ही लोग रोज आधिकारिक बयान जारी कर कहते हैं कि मुख्यमंत्री की बजाय नेता प्रतिपक्ष को स्वयं फ्रंट पर रहकर कोरोना जांच, जीवन रक्षक दवाओं, बेड, ऑक्सीजन और अस्पताल सुनिश्चित और सुव्यवस्थित कराने के साथ-साथ कोरोना के विरुद्ध इस लड़ाई की अगुवाई करनी चाहिए."
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, " जब नेतृत्व किंकर्तव्यविमूढ़ दिखे तो अनुयायियों द्वारा नया नेतृत्व खोजा जाने लगना भी अपेक्षित है. बिहार के सत्तारूढ़ दलों द्वारा सरकारी व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाय नेता प्रतिपक्ष को खोजने की कवायद को जनता भी इसी दृष्टि से देख रही है. ऐसे में आग्रह है कि आप हमें अमुमति दें ताकि हम अपने स्तर से जनता की सेवा कर सकें. चूंकि बिना अनुमति बाहर निकलने पर आप हमारे उपर मुकदमा करेंगे, जो सही नहीं है."
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