पटना: साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना को जाति के आधार पर कराए जाने की मांग बड़ी मजबूती से उठाई जा रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बाबत बात करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर समय भी मांगा है. इधर, विपक्ष के नेता भी प्रधानमंत्री से जाति आधारित जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं. इसी क्रम में शुक्रवार को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की है.


हर दस सालों में कराई जाती है जनगणना 


नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में लिखा, " देश में विकास कार्यों को समुचित गति देने के लिए नीति निर्धारण, बजट आवंटन और टीम इंडिया में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास नारे अंतर्गत सामूहिक लक्ष्य प्राप्त करने की अपेक्षित प्रगति और वास्तविक जनसंख्या की जानकारी के लिए भारत सरकार की ओर से हर 10 सालों में जनगणना कराई जाती है." 


 






तेजस्वी ने कहा, " जातीय जनगणना नहीं कराने की सरकार द्वारा संसद में लिखित सूचना दी गयी है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. पिछड़े-अति पिछड़े वर्ग सालों से अपेक्षित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में अगर अब जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी तो पिछड़ी/अति पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का ना तो सही आकलन हो सकेगा, ना ही उनकी बेहतरी संबंधित समुचित नीति निर्धारण हो पाएगा और ना ही उनकी संख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो पाएगा."


नेता प्रतिपक्ष ने कहा, " 90 साल पहले जातिगत जनगणना साल 1931 में की गई थी. इसलिए अब यह समय और बहुसंख्यक आबादी की मांग है कि बिना देर किए जातिगत जनगणना कराई जाए ताकि विभिन्न जातियों के मौजूदा आंकड़े सामने आ सकें. " उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराने के लिए बिहार विधानसभा से दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हो चुका है. बिहार और केंद्र दोनों ही जगह एनडीए की सरकार है, ऐसे में हमें विश्वास है कि आप जातीय जनगणना कराने पर विचार करेंगे.


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