जाले के BJP MLA की परेशानी नहीं हो रही कम, पार्टी कार्यकर्ता मांग रहे हैं 5 साल के काम का हिसाब
हेमंत झा ने दरभंगा के जाले विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश करते हुए वर्तमान बीजेपी विधायक जीवेश मिश्रा पर कई गंभीर आरोप लगाया है.
दरभंगा: जाले विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक जीवेश मिश्रा की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही. जनता की बात छोड़िए पार्टी कार्यकर्ता भी विधायक जी से उनके 5 सालों के काम का हिसाब मांग रहे हैं. वहीं कई पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने क्षेत्र से अपनी दावेदारी पेश कर विधायक जी नींद उड़ा दी है.
हेमंत झा ने विधायक जी पर लगाए गंभीर आरोप
बिहार बीजेपी प्रदेश कार्य समिति के सदस्य हेमंत झा ने दरभंगा के जाले विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश करते हुए वर्तमान बीजेपी विधायक जीवेश मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि विधायक जी ने भूमिहार होते हुए भी चुनाव आयोग को दिए दस्तावेज में अपने आप को मैथिल ब्राह्मण बताया है. ऐसा करके उन्होंने पार्टी को भी गुमराह किया है. बता दें कि वर्तमान विधायक जीवेश मिश्रा ने 2010 के चुनाव में बागी बन बीजेपी की परंपरागत सीट जाले में प्रत्याशी को दूसरे पार्टियों के साथ मिलकर हराने का काम किया था.
2010 में नहीं बचा पाए थे जमानत
हेमंत झा ने जीवेश मिश्रा पर आरोप लगाते हुए कहा कि 2010 में दिल्ली में बीजेपी कार्यालय में चोरी-छिपे घूमने वाले जीवेश मिश्रा बिहार आकर अपने को बड़े-बड़े नेताओं का करीबी बताकर 2010 में बीजेपी में शामिल हो गए और टिकट की दावेदारी पेश की. टिकट ना मिलने पर 2010 में पार्टी से विद्रोह कर निर्दलीय चुनाव लड़े. लेकिन जमानत भी नहीं बचा पाए. इसके बाद उन्हें पार्टी ने 6 साल के लिए निष्काषित कर दिया. इसके बाद दिल्ली से जुगाड़ टेक्नोलॉजी लगाने के बाद 2012 में वापस बीजेपी में आकर जमीनी कार्यकर्ताओं को धौंस दिखाया कि दिल्ली में उसकी तूती बोलती है और चमचे बनाकर नेतागिरी प्रारंभ की.
जीवेश मिश्रा की वजह से छोड़नी पड़ी सीट
हेमंत झा ने कहा, " फिर 2013 में विजय कुमार मिश्रा के बीजेपी छोड़ने के बाद हुए 2014 के उपचुनाव में अपनी गद्दारी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए बीजेपी उम्मीदवार रामनिवास प्रसाद जी का विरोध किया, जिसके कारण जीती हुई सीट बीजेपी को खोनी पड़ी. मालूम हो कि हारने के बाद अपनी रिपोर्ट में रामनिवास प्रसाद ने लिखा है कि केवल जीवेश और उसकी टीम के विरोध और जातिगत भड़काऊ अभियान के कारण वो हारे."
संगठन की आंखों में झोंका धूल
उन्होंने बताया कि 2015 में फिर जीवेश मिश्रा ने अपने को मैथिल ब्राह्मण और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष के रूप में प्रस्तुत कर, संगठन की आँखो में धूल झोकं कर टिकट लिया और येन केन प्रकारेण जीत हासिल की.
लगाया संगठन तोड़ने का आरोप
हेमंत झा ने कहा कि जाले विधानसभा जनसंघ काल से ही संगठन की सीट रही है और 2015 में भी बीजेपी ने यह सीट जमीनी कार्यकर्ताओं के मेहनत और लगन से जीती थी. लेकिन 2015 में इनके जीत के बाद सक्रिय सभी पुराने साथियों और पुराने सदस्यों को या तो निकाल दिया गया या लगातार बेइज्जत किया गया और उनलोगों ने खुद ही संगठन से दूरी बना ली है. इनमें राजमंडल ठाकुर, पूर्व जिलाध्यक्ष दरभंगा, दिग्विजय नारायण सिंह, पूर्व जिला उपाध्यक्ष दरभंगा, विनय कुमार झा, पूर्व मंडल अध्यक्ष, जाले, देवेंद्र ठाकुर, पूर्व मंडल उपाध्यक्ष जाले समेत अन्य शामिल हैं.
कार्यकर्ताओं में पनप रहा आक्रोश
हेमंत झा ने कहा, " आज की स्थिति यह है कि दूसरे दल से आयातित कार्यकर्ता, जो अपने पड़ोसी तक का वोट नहीं दिला सकते, उनको संगठन में दायित्व देकर राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ताओं को दूर किया गया है. ऐसे में जिस आदमी का 2010 से संगठन से कोई संबंध नहीं रहा और अनेकों बार संगठन विरोध और निष्कासन के बावजूद भी संगठन द्वारा उसे विधायक बनाया जाना जमीनी कार्यकर्ताओं में आक्रोश पैदा कर रहा है.
जमीनी कार्यकर्ता को टिकट मिलने की आस
कुछ कार्यकर्ताओं की मानें तो विधायक जीवेश मिश्रा अपनी मीटिंग में टिकट खरीदने और अपने दम पर विधायक बनने का दावा फिर से कर रहे हैं. हालांकि की क्षेत्र के प्रमुख और संगठन के पुराने कार्यकर्ता किसी सामान्य, मजबूत, मेहनती और जमीनी कार्यकर्ता को टिकट मिलने की आस लगाए बैठे हैं.