पालीगंज: लद्दाख में 27 मई को 26 जवानों से भरी बस खाई में गिर गई थी. इस सड़क हादसे में सात जवान शहीद हो गए थे. इसमें पटना के पालीगंज के रहने वाले रामानुज यादव भी शामिल थे. उनके पार्थिव शरीर को आज पालीगंज के उनके पैतृक गांव परियो लाया गया. इस दौरान भारी संख्या में गांव वाले उनको श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. रामानुज अमर रहे. भारत माता की जय नारा लगा रहे थे. गांव में ही मंच बना हुआ था. वहीं पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी जा रही थी. वहां मंच पर सेना के अधिकारी, स्थानीय पुलिस, स्थानीय सांसद रामकृपाल यादव और ग्रामीण मौजूद थे.


रामानुज यादव के भाई रामजी कुमार ने कहा कि मैं विजयवाड़ा में रेलवे में नौकरी करता हूं. स्थानीय थाना से फोन आया मुझे और बताया गया कि घर आ जाइए. आपके भाई शहीद हो गए हैं. मैं फोन पर रोने लगा. आनन-फानन में मैं घर आ गया. हम लोग बहुत दुखी हैं, लेकिन हमारा भाई देश के लिए शहीद हुआ है. इसका गर्व है. रामानुज यादव की मां लीला देवी ने कहा कि मेरा बेटा रामानुज देश के लिए शहीद हुआ. भारत माता की सेवा करते करते शहीद हुआ. मेरे दो और बेटे हैं. एक बेटा तो नौकरी कर रहा है. दूसरे बेटे को फौज में भेजेंगे. वह देश की सेवा करेगा. मां ने भारत माता की जय के नारे लगाए.


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पिता की तबियत बिगड़ी


पूर्व केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद रामकृपाल यादव ने कहा कि रामानुज यादव ने पालीगंज सहित पूरे देश का नाम रोशन किया. देश की सेवा करते करते शहीद हुए हैं. उसका नाम हमेशा अमर रहेगा. पूरे देश को उसपर फक्र है. हमेशा उनकी याद आएगी. वहीं, रामानुज यादव के पिता ललन यादव कि इस घटना के बाद से तबियत खराब है. वह बहुत भावुक दिखे. लगातार रो रहे थे. बात करने की स्थिति में नहीं थे. परिवार के लोग उनके आंसू पोछ रहे थे. चुप करा रहे थे. तबियत बिगड़ रही थी.


बहन की शादी कर एक महीना पहले ही लौटे थे रामानुज


बता दें रामानुज के दो भाई और दो बहन हैं. शहीद रामानुज यादव एक महीना पहले ही बहन की शादी में घर आए थे. पिछले महीने 26 अप्रैल को रामानुज लद्दाख अपनी ड्यूटी पर लौट गए थे. शहीद रामानुज यादव आर्मी के क्लर्क ग्रेड पर नियुक्त हुए थे. शहीद जवान रामानुज यादव का 23 सितंबर 2016 को महाराष्ट्र के मराठा रेजीमेंट के तहत आर्मी में चयन हुआ था. वह परिवार में सबसे छोटे थे.


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