बर्बादी की कगार पर है ब्रिटिश काल की वो कोठी, जहां अंग्रेजों से लेकर इंदिरा तक डालती थीं डेरा
पार्क को जिंदा रखने के लिए 2015 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 4 करोड़ की राशि आवंटित की थी. उसके बाद पार्क काफी खूबसूरत हो गया था.
पूर्णिया: जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर काझा गांव में ब्रिटिश जमाने का एक पार्क है, जिसे दुनिया काझा कोठी के नाम से जानती है. काझा गांव स्थित इस पार्क का नाम बदलकर शास्त्री पार्क रख दिया गया था. इसका कारण यह है कि बिहार में तीन सत्र तक मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री का घर इसी कोठी के करीब है. बताया जाता है कि पूर्णिया का धरोहर माना जाने वाला काझा कोठी अपने आप में एक इतिहास है. सर्किट हाउस के पास रहकर ही अंग्रेज गांव वालों को नील की खेती का प्रशिक्षण दिया करते थे. मगर अब इतिहास के पन्नों से यह धरोहर धूमिल होता जा रहा है.
अंग्रेजी शासक से लेकर इंदिरा फरमाती थी आराम
इस पार्क में एक सर्किट हाउस है, जो तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य में बनाया गया था. उस सर्किट हाउस में अंग्रेजी अधिकरियों के आगमन पर रहने की विशेष व्यवस्था की जाती थी. काझा कोठी के इस ऐतिहासिक सर्किट हाउस में इंदिरा गांधी तक आकर आराम कर चुकी हैं. इस पार्क को जिंदा रखने के लिए 2015 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 4 करोड़ की राशि आवंटित की थी. उसके बाद पार्क काफी खूबसूरत हो गया था.
उस वक्त पार्क में 5 सुरक्षाकर्मी के साथ माली और केअर टेकर भी थे. लेकिन फिर आसपास के लोगों की जमघट ने इस पार्क को उजाड़ दिया. लोग पार्क की ग्रिलें उखाड़ कर ले गए, स्ट्रीट लाइट नहीं है, शौचालय टूटे पड़े हैं. वहीं पार्क में कई आपत्तिजनक चीजें फेंकी पड़ी है. पार्क बीच बने पोखर को लीज पर लेकर मखाना और मछली पाला जा रहा है. अब कोई सुरक्षाकर्मी नहीं है, जिस कारण आस पास के मनचले पार्क को अपने अय्यासी का अड्डा बना चुके हैं. स्थानीय लोग पार्क के जीर्णोद्धार के लिए लगातार शासन-प्रशासन से मांग कर रहे हैं. कई बार इस मांग के लेकर आंदोलन भी चुके हैं.