पूर्णिया: सात समंदर पार सिंगापुर से आए दंपति ने बिहार के पूर्णिया की बच्ची मिसू को गोद लिया है. विदेश से भारत आकर बच्ची गोद लेने के संबंध में सरवना और राठी बताते हैं कि उनकी शादी को 13 साल हो गए हैं. शादी के फैसले के साथ ही उन्होंने यह निर्णय कर लिया था कि खुद की संतान के बजाए वे गोद लेकर किसी और के बच्चे का लालन-पालन करेंगे और उसकी तकदीर बनाएंगे.
3 साल के इंतेजार के बाद सिंगापुर से आए दंपति ने पूर्णिया के एडॉप्शन सेंटर से एक नन्ही ढाई साल की बच्ची को गोद लिया है. अब ढाई वर्षीय मिसू अब अपने माता-पिता के साथ सिंगापुर में रहेगी. अब उसके लालन पालन की जिम्मेदारी सरवना और राठी की है.
मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले है दम्पत्ति
सिंगापुर से पूर्णिया पहुंचे एनआरआई दंपति सरवना और राठी ने कहा कि वे दोनों मूल रूप से तमिलनाडु के मदुराई के रहने वाले हैं. सिंगापुर स्थित एक कंपनी में बतौर इंजीनियर नौकरी लगने के बाद 7 वर्ष पहले दोनों सिंगापुर शिफ्ट हो गए. हालांकि, इस बीच उनका भारत आना जाना लगा रहा.
2017 में दी थी एडॉप्शन की अर्ज़ी
इसी दौरान उन्हें एडॉप्शन से जुड़ी ऑनलाइन जानकारी मिली. इसके बाद 2017 में उन्होंने बेटी गोद लेने के लिए अर्ज़ी डाली थी. आज जाकर 3 साल के बाद उनका सपना पूरा हुआ और दम्पत्ति पूर्णिया के एडॉप्शन सेंटर पहुंचे. बेटे के बजाए बेटी गोद लेने के पीछे उनका एक बड़ा कारण यह भी रहा कि बेटियों को लेकर आज भी हमारे समाज में असमानता की दीवार खड़ी है, जिसे ऐसी ही पहल से खत्म किया जा सकता है.