सपनों को उड़ान देने के लिए खूब मेहनत कर रही बच्चियां, घरवालों का नाम रौशन करना है सपना
बच्चियों की ट्रेनिंग में ज्योतिष कुमार सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. वह बच्चियों को ट्रेनिंग की बारीकियों के साथ-साथ टाइम मैनजमेंट भी सिखाते हैं.
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जहानाबाद: बिहार के जहानाबाद जिले की बच्चियां इन दिनों कड़ाके की ठंड में अपने और अपने परिजनों के सपने को साकार करने के लिए खूब पसीना बहा रही हैं. गांव से कई किलोमीटर की दूरी तय कर अहले सुबह ये बच्चियां जिले के गांधी मैदान में जुटती हैं और सिपाही, सब-इंस्पेक्टर, डीएसपी बनने के लिए प्रतिदिन तकरीबन तीन से चार घंटे मैदान में जी तोड़ मेहनत करती हैं.
बहाली प्रक्रिया के लिए रिटेन एग्जाम क्लियर करने के बाद बच्चियां अब फिजिकल एग्जाम की तैयारी में जुटी हैं. इसके लिए वे रोजाना जॉगिंग, हाई जम्प , लॉन्ग जम्प, गोला फेक और रनिंग सहित सभी जरूरी प्रैक्टिस करती है. इन लड़कियों में से अधिकांश लड़कियां किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के परिवार से आती हैं. छात्राओं को फिजिकल एग्जाम के लिए प्रशिक्षण देने में प्रशिक्षक और राष्ट्रीय स्तर के धावक रहे ज्योतिष कुमार गुरु द्रोण की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं.
30 किलोमीटर की दूरी तय कर गांव से जहानाबाद गांधी मैदान आने वाली पूजा कुमारी के पिता किसान हैं और वह सब इंस्पेक्टर बनने की प्रैक्टिस कर रही है. एएसआई की बेटी प्रिया भारती कहती है कि लड़कियां वह सब कर सकती हैं, जो पुरुष कर सकते हैं. हम किसी से कम नहीं हैं और यह हम सबको दिखा सकते हैं.
इधर, ऑटो चालक की बेटी अमोला अपनी प्रतिभा का 100 प्रतिशत देने को तैयार है. वह शहर से 800 किलोमीटर दूर सोहे गांव से आती है और प्रैक्टिस में जुट जाती है. इंडियन आर्मी की बेटी प्रीति शर्मा इंस्पेक्टर बनने के लिए सुबह 7:00 बजे से 10:00 बजे तक वर्कआउट करती है.
इधर, बच्चियों की ट्रेनिंग में ज्योतिष कुमार सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. वह बच्चियों को ट्रेनिंग की बारीकियों के साथ-साथ टाइम मैनजमेंट भी सिखाते हैं. गांधी मैदान में रोजाना बच्चियों को प्रैक्टिस करते देख जिले के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर गिरिजेश कुमार कहते हैं कि कैरियर में प्रैक्टिस का बड़ा ही महत्व है और जो जितना अधिक अभ्यास करेगा, उसे सफलता उतनी ही मिलेगी.
डॉक्टर बच्चियों के प्रैक्टिस के स्तर को देख प्रभावित हैं. बहरहाल, कभी नरसंहार, जातिय संघर्ष के लिए बदनाम रहे जहानाबाद जिले में कैरियर के लिए बच्चियों को इस कदर मेहनत करते देख एक सुखद अनुभूति होती है. अब देखना है कि बच्चियां अपने सपनों को साकार करने में कितना सफल होती हैं.
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