दूर होगी समस्या, नबीनगर पावर प्लांट से इस महीने से बिहार को मिलने लगेगी इतनी मेगावाट बिजली
विजय सिंह ने बताया कि इसी महीने से इस यूनिट से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने जा रहा है. ऐसी स्थिति में कुल उत्पादन 1320 मेगावाट हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इस परियोजना के निर्माण में 18,000 करोड़ रुपये की लागत आई है.
औरंगाबाद: देश की प्रमुख ऊर्जा उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी नवीनगर पावर जनरेटिग कंपनी (एनपीजीसी) की औरंगाबाद जिले में स्थापित सुपर थर्मल पावर परियोजना से इस महीने से बिहार को 1120 मेगावाट बिजली मिलने लगेगी. इस संबंध में एनपीजीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय सिंह ने बताया कि परियोजना की दूसरी इकाई से इसी महीने से 660 मेगावाट बिजली का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाएगा.
2019 से एक इकाई से हो रहा उत्पादन
मालूम हो कि इस परियोजना की 660 मेगावाट की एक इकाई से वर्ष 2019 से ही वाणिज्यिक उत्पादन हो रहा है. सिंह ने बताया कि इस बिजली परियोजना से उत्पादित बिजली का 85 % हिस्सा बिहार को जाता है. वहीं 10% हिस्सा उत्तर प्रदेश को, 4% झारखंड को और 1% सिक्किम को मिलता है. इस प्रकार से 660 मेगावाट की एक इकाई से बिहार को 560 मेगावाट बिजली मिलती है.
दोगुनी हो जाएगी सप्लाई
उन्होंने बताया कि पहली यूनिट के वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करते ही बिहार को 560 मेगावाट बिजली मिलनी शुरू हो गई थी, जो अब बढ़कर लगभग दोगुनी यानी 1120 मेगावाट हो जाएगी. उन्होंने कहा कि परियोजना की दूसरी इकाई से ट्रायल उत्पादन 31 मार्च को सफलतापूर्वक किया गया. इस दौरान दूसरी इकाई को लगातार 72 घंटे तक चलाकर बिजली उत्पादन किया गया. इस दौरान इकाई के मशीनरी संयंत्रों ने बेहतर ढंग से काम किया और कहीं से किसी प्रकार की बाधा नहीं आयी. अब यह इकाई वाणिज्यिक उत्पादन के लिए लगभग तैयार है.
10 हजार कामगारों को मिल रहा रोजगार
विजय सिंह ने बताया कि इसी महीने से इस यूनिट से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने जा रहा है. ऐसी स्थिति में कुल उत्पादन 1320 मेगावाट हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इस परियोजना के निर्माण में 18,000 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसके माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आठ से 10 हजार कामगारों को रोजगार मिल रहा है. इसमें ज्यादातर कामगार बिहार के हैं.
गौरतलब है कि बिहार सरकार और एनटीपीसी के संयुक्त उपक्रम के रूप में एनपीजीसी की स्थापना की गई थी. बाद में इस उपक्रम के बिहार सरकार के शेयर एनटीपीसी ने खरीद लिए और इस प्रकार यह एनटीपीसी की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी बन गई है.
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