पटना: कोरोना संक्रमण से पूरा बिहार त्राहिमाम कर रहा है. रोजाना सैकड़ों नए मरीज मिल रहे हैं. सरकार लगातार लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग मेन्टेन करने की अपील कर रही है, इसके बावजूद लोग लापरवाही कर रहे हैं. इसी क्रम में गुरुवार को कोरोना महामारी के बीच फुलवारीशरीफ में श्रावणी पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया.


फुलवारीशरीफ प्रखंड के नजदीक मां शीतला मंदिर से दश्रावणी पूजा की शोभायात्रा निकली, जो नगर के टमटम पढ़ाओ चौराहा, मस्जिद गली, पेठिया बाजार, टीका स्टूल मोड़, प्रखंड मोड़ होते हुए वापस शीतला मंदिर आकर खत्म हुई. इस शोभायात्रा में फुलवारीशरीफ के कई मोहल्लों के लोगों ने हिस्सा लिया. सभी ने माता का जय कारा करते हुए नगर की परिक्रमा की.


लोगों का यह मानना है कि इस श्रावणी पूजा से फुलवारीशरीफ में महामारी का प्रकोप खत्म होगा. विधिवत पूजा के आयोजन से मां देवी प्रसन्न होंगी और यहां की स्थिति में काफी सुधार आएगी. लगभग 200 वर्षों से आयोजित हो रहे इस पूजा से लोगों की आस्था जुड़ी है. यह बताया जाता है कि एक समय फुलवारीशरीफ में बड़े पैमाने पर महामारी फैल गया था, तब लोगों ने देवी मां की आराधना की थी और उस आराधना और पूजा के बाद फुलवारीशरीफ से महामारी खत्म हो गया था. उसके बाद प्रत्येक वर्ष सावन के महीना में इस महोत्सव का भव्य रूप से आयोजन किया जाता रहा है.


यह पहली बार नहीं है कि कोरोना काल में लोगों ने आस्था में छिपी अंधविश्वास की वजह से कोरोना से बचाव के नियमों की धज्जियां उड़ाई हो. बीते दिनों बिहार के कई गांव से महिलाओं के कोरोना माई की पूजा करने का वीडियो सामने आया था. एक वायरल वीडियो से इस कदर अंधविश्वास फैला दी थी कि सभी महिलाएं झुंड बनाकर कोरोना माई की अराधना में जुट गई थी. उनका कहना था कि कोरोना माई कुपित हैं, उनको शान्त करने के लिए हम पूजा कर रहीं हैं. वो शांत हो जाएंगी तो महामारी अपने आप चली जाएगी.