पटना: बिहार में कोरोना के मामलों को कम करने के लिए सरकार द्वारा जहां नमूनों की जांच की संख्या बढ़ाई जा रही है वहीं मरीजों की सख्या में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है, जिससे राज्य में संक्रमण दर की रफ्तार 4.44 प्रतिशत तक पहुंच गई है. बिहार स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य में इस महीने की शुरूआत में संक्रमण की दर एक प्रतिशत से नीचे थी वहीं अब यह बढ़कर पांच प्रतिशत के करीब पहुंच गई है.


आंकड़ों के मुताबिक पूरे राज्य में 1 अप्रैल को विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 60,262 नमूनों की जांच की गई थी, जिसमें 488 संक्रमितों की पुष्टि हुई थी, जो जांच का 0.81 प्रतिशत है. इसी तरह राज्य में संक्रमण दर में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है. दो अप्रैल को जहां 63,846 नमूनों की जांच की गई जिसमें से 662 संक्रमण के मामले सामने आए जबकि उससे एक दिन बाद यानी तीन अप्रैल को जांच की संख्या बढ़कर 63,982 पहुंची तो इसमें 836 संक्रमितों की पहचान हुई.


औसतन 42 नमूनों की जांच में एक कोरोना पॉजिटिव पाया जा रहा


इसी तरह चार अप्रैल को 67,033 नमूनों की जांच की गई, जिसमें 864 संक्रमित पाए गए, जबकि पांच अप्रैल को 72,418 नमूनों की जांच की गई जिसमें 935 लोगों को कोरोना संक्रमित पाया गया. 10 अप्रैल को जांच की संख्या बढ़ाकर 95,112 की गई, जिसमें 3,469 संक्रमण के मामले सामने आए जो 1.30 प्रतिशत है. 11 अप्रैल को करीब 99 हजार नमूनों की जांच की गई जिसमें 3,756 लोगों को पॉजिटिव पाया गया, जबकि 13 अप्रैल को यानी मंगलवार को 93,523 नमूनों की जांच की गई, जिसमें 4,157 संक्रमित पाए गए जो जांच का 4.44 प्रतिशत है. आंकड़ों के देखें तो इस महीने औसतन 42 नमूनों की जांच में एक कोरोना पॉजिटिव पाया जा रहा है.


बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का दावा है कि कोरोना की दूसरी लहर में लोगों के स्वास्थ्य के प्रति विभाग पूरी तरह सचेत और सतर्क है. अस्पतालों में कोरोना बेड की संख्या बढ़ाने, टेस्टिंग व ट्रीटमेंट सुविधा बेहतर करने के निर्देश दिए गए हैं. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अधिक संख्या में कोरोना की जांच करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि अनुमंडल अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों की बेहतर व्यवस्था का निर्देश दिए गए हैं, जो डेडीकेटेड हेल्थ सेंटर के रूप में काम करेगा. स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि कोरोना संक्रमित की जांच रोजाना एक लाख के करीब हो, इसमें आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या अधिक से अधिक हो. उन्होंने कहा कि पटना के अस्पतालों भी बेड बढ़ाए जा रहे हैं.


मरीजों को बेड के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है


सरकार का दावा भले ही जो हो, लेकिन हकीकत है कि कोरोना मरीजों को अभी भी बेड के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है जबकि जांच के लिए भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.


यह भी पढ़ें-


कोरोना का कहर बढ़ा तो बिहार लौटने लगे प्रवासी मजदूर, अब सता रही है रोजगार की चिंता