पटना: प्रदेश बीजेपी कार्यालय के अटल सभागार में आयोजित ‘आत्मनिर्भर बिहार अभियान’ के शुभारंभ समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में लड़ाई कांग्रेस-आरजेडी यानी पति-पत्नी और ‘वो’ (कांग्रेस) के 45 साल बनाम एनडीए के 15 साल के बीच है.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में जो कुछ भी विकास हुआ वह 1961 के पहले श्रीबाबू के 15 सालों के कार्यकाल में हुआ. 1961 के बाद के 29 सालों में बिहार में 23 मुख्यमंत्री बने, सत्ता की अनिश्चितता की वजह से विकास कार्य ठप रहा. 1990 के बाद लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के राज में तो बिहार के लोग विकास क्या होता है, भूल गए.
एनडीए ने आपदा को अवसर में बदला
सुशील मोदी ने कहा कि एनडीए की सरकार ने अपने 15 वर्षों के कार्यकाल में जिस बेहतर तरीके से हर सकंट, आपदा और चुनौती को अवसर में बदला और उसका समाधान किया जिसकी वजह से आज बिहार में बिजली, पानी, सड़क, बाढ़, कोरोना प्रवासी मजदूर और विधि-व्यवस्था आदि कोई मुद्दा नहीं है और विपक्ष भी इन पर बोलने से बच रहा है. अगर विपक्ष में हिम्मत है तो इन मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में आएं.
एनडीए शासनकाल में हुए यह काम
उन्होंने कहा कि 1990 से 2005 के 15 सालों में (बिहार-झारखंड सहित) कुल 95 हजार 734 सरकारी नौकरियां दी गई जबकि एनडीए के 15 वर्षों में 6 लाख से ज्यादा नौकरियां दी गई हैं. पिछले 55 सालों में मात्र एक भागलपुर मेडिकल काॅलेज, दो इंजीनियरिंग काॅलेज और 13 पाॅलिटेक्नीक खोले गए थे जबकि एनडीए के 15 सालों में बेतिया, पावापुरी, मधेपुरा, पटना एम्स और आईजीआईएमएस में 5 मेडिकल काॅलेज शुरू करने के साथ ही 11 नए मेडिकल काॅलेज स्थापित किए जा रहे हैं. इसके साथ ही 39 इंजीनियरिंग काॅलेज और 31 नए पाॅलिटेक्नीक (हर जिले में एक) खोले गए हैं.
चुनाव में बिहार की जनता करेगी तय
उन्होंने कहा कि केन्द्र में भी 55 साल से अधिक कांग्रेस की सरकार रही, जबकि करीब 15 साल बीजेपी और अन्य गैर कांग्रेसी सरकार रही है. बिहार की जनता इस चुनाव में तय करेगी कि 55 साल की कांग्रेसी सरकार में बिहार को ज्यादा मदद मिली या 12 साल के अटल-मोदी सरकार में बिहार को सर्वाधिक तव्वजो और सहायता मिली है.