पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया में विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप पर खतरे का बादल मंडराने लगा है. आस-पास में हो रही भारी बारिश से बौद्ध स्तूप के पूरे प्रांगन में बहुत ज्यादा पानी जमा हो गया है जिससे पहले से कमजोर स्तूप के गिरने का खतरा उत्पन्न हो गया है. नेपाल और गंडक नदी के आसपास वाले इलाकों में पिछले 24 घंटे के दौरान भारी बारिश हुई है जिससे निचली नदियों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आस-पास के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. 


स्तूप के चारों ओर जलजमाव
पटना से 120 किलोमीटर दूर पूर्वी चंपारण के केसरिया में स्थित यह विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है. माना जा रहा है कि यह विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है. हाल के दिनों में यहां पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है. भारी बारिश के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी आई है. इसके अलावा स्तूप के चारों ओर भारी जलजमाव के कारण वहां पहुंचना मुश्किल हो रहा है. तस्वीर में देखा जा रहा है कि बौद्ध स्तूप की पूरी संरचना पानी से घिरी हुई है और यह स्विमिंग पूल की तरह दिखती है. पिछले साल भी भारी बारिश के कारण बौद्ध स्तूप का यही हाल था लेकिन इससे बचाने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया. 


विश्व का सबसे बड़ा स्तूप 
मोतिहारी के जिला अधिकारी कपिल अशोक ने बताया कि पिछले साल भी स्तूप के चारों ओर पानी भर गया था. भारत सरकार को इस स्थिति के बारे में अवगत करा दिया गया था. इस साल भी केंद्र को इस संबंध में सूचित कर दिया गया है. स्तूप परिसर में बाढ़ का पानी जमा होना चिंता का विषय है. 1998 में इस स्तूप की खोज की गई थी. इस भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई में स्तूप के कई बिल्डिंग मिले जो विश्व में सबसे बड़ी है. 


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