जहानाबाद: कोरोना काल में नई सोच और सकारात्मक ऊर्जा का सही उपयोग कैसे हो ये बिहार के जहानाबाद के युवाओं से सीखने की जरूरत है. स्कूल कॉलेज सहित सभी संस्थान बंद रहने की वजह से वापस गांव लौटे युवा अब रचनात्मक कार्यों में हिस्सा ले रहे हैं. इन युवाओं द्वारा एक ग्रुप बनाकर अब तक दर्जनों गांव में बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जा रहा है.
40 युवाओं की टीम ने लगाए 3500 पेड़
युवाओं की यह टोली कल्पा गांव की रहने वाली है जो अपने 40 साथियों के साथ मिलकर आस-पास के गांव जैसे दाउदपुर, खरगोश, बड़ी कल्पा सहित कई गांव में घूम-घूमकर वृक्षारोपण का कार्य कर रहे हैं. खाली पड़ी सरकारी जमीन रोड के किनारे और विभिन्न गांव में तालाब और पोखर के किनारे इन युवाओं ने अब तक 3500 पौधे रोपे हैं. लॉक डाउन की वजह से अपने घर आए कुछ युवाओं ने ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण की बेहतरी को लेकर रूट्स टू ट्री नाम से ग्रुप बनाकर यह काम किया है.
दो युवाओं ने निभाई अहम भूमिका
इस काम में जहानाबाद के कल्पा खुर्द गांव के दो युवा अवतार किशन और मंटू की भूमिका अहम है. अवतार किशन गुरुग्राम में अपनी सॉफ्टवेयर कम्पनी में डिजाइन बनाने का काम करते हैं, वही मंटू गाँव पर ही कोचिंग क्लास चलाते हैं. इन लोगों ने ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण की बेहतरी को लेकर रूट्स टू ट्री नाम का एक ग्रुप बनाया जिसमें दिल्ली, मुंबई, गुरुग्राम जैसी जगह से नौकरी या स्कूल बंद हो जाने की वजह से घर पहुंचे 40 युवाओं को जोड़ा गया.
युवाओं ने बनाई खुद की नर्सरी
इन युवाओं ने गांव-गांव जाकर बीज इकट्ठा कर अपनी नर्सरी बनाई और जब इस नर्सरी में पौधे होने लगे तो उन्होंने उन पौधों को गांव-गांव में जाकर लगाना शुरू कर दिया. युवाओं ने बताया की नर्सरी के पौधे खत्म हो जाने पर उन्होंने आपस में चंदा करके दूसरी नर्सरी से पौधे खरीद कर पौधारोपण किया है. अवतार और मंटू ने बताया कि पर्यावरण को बेहतर बनाने के उद्देश्य यह कार्य किया जा रहा है ताकि हरियाली के कारण ग्लोबल वार्मिंग का असर कम हो.
10,000 पौधे लगाने का है लक्ष्य
बता दें कि युवाओं की टीम ने पहले नीम का बीज इक्ट्ठा कर खुद 7000 पौधों की नर्सरी तैयारी और सरकारी नर्सरी से पीपल ,जामुन ,आम अमरूद ,आंवले के सैकड़ों पेड़ लगा दिए. युवाओं की टीम ने कल्पा पोखरा पर, दाउदपुर, खरोज, मिल्की और टाली-ककड़िया सड़क किनारे तकरीबन 3500 पौधे लगाए. इनकी योजना 10,000 पेड़ लगाने की है. बहरहाल नई सोंच और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर जहानाबाद के युवाओं की पहल न सिर्फ सराहनीय बल्कि अनुकरणीय भी है.