(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एक प्यार ऐसा भी: 38 सालों से पहाड़ों पर पौधे लगा रहे सिकंदर, कहा- प्रकृति से है बेपनाह मोहब्बत
सिकंदर पेशे से बिजली मिस्त्री हैं, लेकिन दिन के 24 घंटों में से 6 से 7 घंटे वे पहाड़ों और पेड़-पौधों के बीच गुजारते हैं. उनके अथक कोशिशों का ही फल है कि आज ब्रह्मयोनि पहाड़ बड़े-बड़े पेड़ों से भरा पड़ा है.
गया: बिहार के गया जिले के रहने वाले सिकंदर इन दिनों युवा वर्ग के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. दिलीप कुमार सिकंदर पिछले 38 वर्षों से शहर के बीचोबीच स्थित ब्रह्मयोनि पहाड़ पर पौधारोपण करने का काम करते आ रहे हैं. दरसअल, एक बार सिकंदर अपने पिता के साथ ब्रह्मयोनि पहाड़ पर घूमने गए थे. ऐसे में उन्होंने अपने पिता से पूछा था कि पहाड़ पर पेड़ क्यों नहीं है?
कैसे हुई अभियान की शुरुआत?
सिकंदर के इस सवाल का जवाब देते हुए उनके पिता ने कहा था कि गया की धरती ही ऐसी है, यहां बिना पेड़ के पहाड़ और बिना पानी के नदी हैं. यह सुनकर उन्होंने उस वक्त ही दृढ़ संकल्प लिया कि अब वे इस वीरान पहाड़ पर हरियाली लाएंगे. इसके बाद उन्होंने पहाड़ जहां-तहां छोटे फलदार पौधे लगाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे प्रकति के प्यार में सिकंदर इतने पागल हो गए कि अपनी कमाई के आधे से ज्यादा पैसों से वो पौधरोपण करने लगे.
बता दें कि सिकंदर पेशे से बिजली मिस्त्री हैं, लेकिन दिन के 24 घंटों में से 6 से 7 घंटे वे पहाड़ों और पेड़-पौधों के बीच गुजारते हैं. पौधों की देखभाल और पहाड़ों पर हरियाली लाने की कोशिश में वे इस कदर लगे हुए हैं कि पिछले 38 वर्षों में वे करीब 2 से 3 लाख पौधे पहाड़ पर लगा चुके हैं.
गर्मी के दिनों में होती है दिक्कत
इस संबंध में उन्होंने बताया कि गर्मी के दिनों में नीचे से पानी का गैलन लेकर ऊपर पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है. इसमें काफी परेशानी होती है. उनका कहना है कि पत्थरों में भी जान होता है, यह बात उम्होंने खुद देखी है. उनका कहना है कि जब हम पेड़ों से प्यार करते हैं, तो उससे कहीं ज्यादा यह पेड़-पौधे हमें प्यार देते हैं. साइकिल से वे जब पहाड़ की ओर आते हैं तो उन्हें ऐसे लगता है कि पेड़-पौधे यह कह रहे हैं कि हमें देखने वाला आ गया है.
उन्होंने कहा कि सब अलग-अलग चीजों से प्यार करते हैं, लेकिन मैं तो पेड़-पौधों और पहाड़ों से बेपनाह प्यार करता हूँ. मैं इनका दीवाना हूँ क्योंकि मैंने शुरू से इनकी देखभाल की है. बता दें कि ये सिकंदर की ही अथक कोशिशों का फल है कि आज ब्रह्मयोनि पहाड़ बड़े-बड़े पेड़ों से भरा पड़ा है.
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