गया: शहर से महज 7 किलोमीटर दूर बोधगया प्रखण्ड का बेलवाटांड़ एक ऐसा गांव है जहां पिछले 3 वर्षों से बिजली आपूर्ति ठप है. इस गांव की दुर्दशा भी अजीब है. गांव में बिजली के खम्भे, ट्रांसफार्मर, तार, घरों में बिजली मीटर सारा कुछ लगा हुआ है, अगर कुछ नहीं है तो वह है बिजली.
ग्रामीणों ने बताया कि आज से 3 साल पहले घर-घर बिजली का मीटर लगा, बिजली के खम्भे, दर्जनों स्ट्रीट लाइट भी लगाए गए. लोग काफी खुशी थे, लेकिन यह कोई नहीं जानता था कि यह खुशी महज 2 दिनों के लिए है. गांव में हाई वोल्टेज कनेक्शन आया, जिससे कई घरों के बल्ब और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खराब हो गए. उसके बाद से आज 3 साल हो चुका है तार में बिजली नहीं आई है.
इस बात से गुस्साए कुछ ग्रामीणों ने बिजली के मीटर को उखाड़ कर घर के बाहर रख दिया है. मिली जानकारी अनुसार स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार बिजली विभाग के एसडीओ, जेई को अपनी समस्या बताई है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है, नतीजा आज तक गांव में बिजली नहीं है.
ग्रामीणों ने बताया की मोबाइल चार्ज करने के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है, वहां भी परेशानी होती है. रोजाना एक ही जगह मोबाइल चार्ज करने जाएंगे तो उन्हें तो परेशानी होगी ही, इसलिए कभी पास के गांव तो कभी दुबहल गांव में जा कर मोबाइल चार्ज करते हैं. यहां बच्चे दिन में ही पढ़ाई करते हैं क्योंकि रात में प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं है.150 घरों की इस बस्ती में हर घर बिजली योजना के तहत सिर्फ बिना बिजली वाला मीटर ही पहुंचा है.
दरअसल, गांव का कुछ हिस्सा बोधगया नगर पंचायत के वार्ड संख्या 1 में आता है और कुछ हिस्सा गया नगर प्रखण्ड के नैली पंचायत में आता है. ऐसे में बिजली विभाग के शहरी क्षेत्र के जेई ग्रामीण जेई के भरोसे हैं और ग्रामीण क्षेत्र के जेई शहरी क्षेत्र के जेई के भरोसे. इसी कारण आज 3 वर्षो से बेलवाटांड गांव में बिजली नहीं पहुंची है.
वहीं, इस संबंध में विद्युत अधीक्षण अभियंता इंद्रदेव कुमार ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि हमें इसकी जानकारी नहीं है. अगर बिजली नहीं है, तो जल्द ही गांव में बिजली की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.
बोधगया के स्थानीय राजद विधायक कुमार सर्वजीत ने बताया कि ग्रामीणों ने कई बार मुझसे और विभाग से बिजली नहीं होने की शिकायत की है. मैंने अपने स्तर से विभाग को कई बार बिजली आपूर्ति के पत्र भेजा है, लेकिन यहां जनप्रतिनिधियों का सुनने वाला कोई नहीं है. जब गया के जदयू सांसद की बात स्थानीय थाना पुलिस नहीं सुनती और उन्हें थाने में धरना पर बैठना पड़ता है तो हमारी बात कौन सुनेगा.