पटना का ये अस्पताल मेको तकनीक के सहारे लोगों की जिंदगी बना रहा बेहतर
मेको तकनीक से प्रत्येक रोगी के लिए सर्जरी से पूर्व एक विशेष योजना तैयार की जाती है. मेको जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी में पूर्ण रूप से एक क्रांतिकारी परिवर्तन है.
पटना: बिहार की राजधानी पटना के कंकड़बाग स्थित अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एण्ड रिहैबिलिटेशन अब पूर्वी भारत का पहला ऐसा अस्पताल बन गया है जहां मेक रोबोटिक आर्म से घुटने और कूल्हा प्रत्यारोपण की सर्जरी उपलब्ध है. दुनिया के सबसे आधुनिक और उन्नत रोबोटिक तकनीक से इस अस्पताल में बिहार के विभिन्न हिस्सों से आए दस मरीजों के जोड़ को बदलकर उनको एक नया जीवन दिया गया और 72 घंटों के भीतर छुट्टी भी दे दी गई.
कम समय में इलाज की सुविधा
मेको तकनीक से प्रत्येक रोगी के लिए सर्जरी से पूर्व एक विशेष योजना तैयार किया जाता है. मेको जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी में पूर्ण रूप से एक क्रांतिकारी परिवर्तन है. इस कोविड-19 महामारी के दौर में, यह दर्द मुक्त, अधिक सुरक्षित और कम समय में मरीज को घर जाने की सुविधा प्रदान करता है. पटना में इस तकनीक को लाने में गर्व और खुशी है. हमारे आस-पास के क्षेत्र के लोगों को अब विश्व स्तर के उपचार की सुविधा उपलब्ध होगी. साथ ही पटना, रोबोटिक सर्जरी में भारत और दुनिया के रोगियों के लिए एक विश्वस्तरीय केन्द्र बन जाए.
बिना अतिरिक्त शुल्क के उपलब्ध होगा इलाज
अनूप इंस्टीच्यूट ऑफ आर्योपिडिक्स एण्ड रिहबिलिटेशन हड्डी रोग के क्षेत्र में इतिहास रचते हुए पूर्वी भारत का पहला अस्पताल बना जहां दुनिया के सबसे आधुनिक और उन्नत मेको लियो 2 रोबोटिक तकनीक से जोड़ प्रत्यारोपण की सर्जरी की गई. इस अवसर पर डॉ. आशीष सिंह ने बताया कि अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ आर्योपेडिक्स एण्ड रिहैबिलिटेशन का सतत प्रयास है कि विश्व स्तर की चिकित्सा सुविधा बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के सभी लोगों के लिए उपलब्ध होगी.
हर रोगी के हड्डी की बनावट होती है अलग
उन्होंने बताया कि हमारे अस्पताल ने मेको तकनीक से दस मरीजों का सफल जोड़-प्रत्यारोपण करके उन्हें दर्द मुक्त जीवन प्रदान किया है. उत्तर और पूर्वी भारत के किसी भी मेट्रोपोलिटन शहर में यह रोबोटिक तकनीक उपलब्ध नहीं है. इस अवसर पर संस्थान के चेयरमैन डॉ. आरएन सिंह ने बताया कि प्रत्येक रोगी को हड्डियों की बनावट अलग होती है और जोड़ की तकलीफ जैसे कि गठिया, जोड़ों के बनावट में अलग-अलग बदलाव लाता है.
पारंपरिक सर्जरी की एक सीमा है
उन्होंने कहा पारंपरिक सर्जरी में हमारे हाथों और आंखों की अपनी एक सीमा थी. मेको तकनीक की मदद से पहले खराब जोड़ का थ्री डी मॉडल सी.टी. स्कैन से बनाता है. इस थ्री डी मॉडल का इस्तेमाल मरीज विशेष सर्जिकल प्लान बनाने में किया जाता है, जो कि प्रत्येक मरीज के लिए अलग-अलग होता है और मरीज के ऑपरेशन थियेटर में जाने के पहले ही पूरी तैयारी सम्भव कराता है. यह विशेष प्लान ऑपरेशन टियेटर में सटीक कट, इम्प्लांट की बनाबट, आकार, डिजाईन आदि में मदद करता है. यह सारी जानकारी जोड़-प्रत्यारोपण के दीर्घकालिक परिणाम को प्रभावित करते हैं.